हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में 20 साल पूरे कर चुके अभिनेता और निर्माता तुषार कपूर को ख़ुशी इस बात से है कि उन्होंने एक अच्छी जर्नी इंडस्ट्री में तय किया है. हालांकि इस दौरान उनकी कुछ फिल्में सफल तो कुछ असफल भी रही, पर उन्होंने कभी इसे असहज नहीं समझा, क्योंकि सफलता और असफलता नदी के दो किनारे है. सफलता से ख़ुशी मिलती है और असफलता से बहुत कुछ सीखने को मिलता है.

फिल्म ‘मुझे कुछ कहना है’ से उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश किया, जिसमें उनके साथ अभिनेत्री करीना कपूर थी. पहली फिल्म सफल रही, उन्हें सर्वश्रेष्ठ डेब्यू कलाकार का ख़िताब मिला. इसके बाद उन्होंने कई फिल्में की, जो असफल साबित हुई. करीब दो वर्षों तक उन्हें असफलता मिलती रही, लेकिन फिल्म ‘खाकी’ से उनका कैरियर ग्राफ फिर चढ़ा और उन्होंने कई सफल फिल्में मसलन, ‘क्या कूल है हम’, गोलमाल, गोलमाल 3, ‘शूट आउट एट लोखंडवाला’ ‘द डर्टी पिक्चर’ ‘गोलमाल रिटर्न्स’,आदि फिल्में की.तुषार की कोशिश हमेशा अलग-अलग फिल्मों में अलग किरदार निभाने की रही,लेकिन उन्हें कई बार टाइपकास्ट का शिकार होना पड़ा, क्योंकि कॉमेडी में वे अधिक सफल रहे और वैसी ही भूमिका उन्हें बार-बार मिलने लगी थी, जिससे निकलना मुश्किल हो रहा था. तब तुषार ने इसे चुनौती समझ,सफलता के बारें में न सोचकर अलग भूमिका करने लगे, क्योंकि वे फिल्म मेकिंग प्रोसेस को एन्जॉय करते है. शांत और विनम्र तुषार फ़िल्मी परिवार से होने के बावजूद उन्हें लोग कैरियर की शुरुआत में खुलकर बात करने की सलाह देते थे, जो उन्हें पसंद नहीं था.

कैरियर के दौरान एक समय ऐसा आया, जब तुषार कपूर अपने जीवन में कुछ परिवर्तन चाहते थे, जिसमें उनकी इच्छा एक बच्चे की थी. सरोगेसी का सहारा लेकर वे सिंगल फादर बने.उनका बेटालक्ष्य कपूर अभी 5 साल के हो चुके है. तुषार बेटे को भी वही आज़ादी देना चाहते है, जितना उन्हें अपनी माँ शोभा कपूर,पिता जीतेन्द्र और बहन एकता कपूर से मिला है. 20 साल पूरे होने के उपलक्ष्य पर उन्होंने बात की,जो बहुत रोचक थी पेश है कुछ खास अंश.

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