छोटे और बड़े पर्दे पर न जाने पिता के कितने ही भूमिका निभा चुके अभिनेता पवन चोपड़ा से कोई अपरिचित नहीं. हैंड्सम और वेलबिल्ट पिता, जो कभी किसी बेटी के, तो कभी किसी बेटे के व्यवसायी पिता बन दर्शकों को पिता की भूमिका से परिचय करवाया है. वे कहते है कि पर्दे पर पिता बनना और रियल में पिता बनने में बहुत फर्क है.
पर्दे का पिता अधिक दोस्ताना रिश्ता नहीं रखता, जितना मैं रियल लाइफ में अपने बच्चों के साथ रखता हूँ. मैंने बहुत सारी पिता की अलग-अलग भूमिका निभाई है, लेकिन लड़की के पिता में जो इमोशन आती है, वह सबसे अधिक प्यारा होता है. मुझे किसी लड़की का पिता बनना बहुत पसंद होता है, क्योंकि इसमें लड़की भी जो एक्टिंग करती है, उसे भी अपने पिता की याद आती है, क्योंकि लड़कियां हमेशा अपने पिता के करीब होती है, इससे अभिनय में एक स्पार्क दिखता है. पर्दे पर फिक्स्ड इमोशन पर काम होता है, मसलन पहले पिता ने किसी बात को मना करना, गुस्सा होना और अंत में मान जाना. मुझे याद आता है जब मैं रियल लाइफ में 15 दिनों बाद घर आया और मेरी डेढ़ साल की बेटी मेरे गले से लिपट गई, तो ये मेरे लिए प्योरेस्ट लव है, जो मुझे बेटी से मिला.
रियल लाइफ में पवन बेटे शौर्या चोपड़ा और बेटी मान्या चोपड़ा के पिता है और पिता बनना या उसकी भूमिका निभाना उनके जीवन का एक खुबसूरत एहसास है, फिर चाहे वह बेटी की पिता हो या बेटे के, एक भावनात्मक जुड़ाव महसूस करते है. खासकर एक बेटी के पिता बनने को वे एक वरदान मानते है, जिसके एहसास को शब्दों में बयां करना संभव नहीं. वे कहते है कि पिता बनने का सही अर्थ तब अधिक मुझे समझ में आया जब मैं खुद पिता बना. एक पिता, बिना नोटिस के परिवार को बहुत सहयोग देता है, जिसे उसका कर्तव्य समझा जाता है.