दिव्या दत्ता का पूरा परिवार डॉक्टरी पेशे से जुड़ा होने के बावजूद उन्होंने स्कूली दिनों से ही एक्टिंग की दुनिया में जाने की इच्छा परिवार से जाहिर कर दी थी. इसका पूरे परिवार ने विरोध किया पर मां का सहयोग रहा और उन्हीं के कारण दिव्या बौलीवुड में आने का अपना सपना साकार कर पाईं.

मुंबई आने से पहले उन्होंने पंजाब में मौडलिंग भी की. पहली फिल्म उन्हें पंजाबी नहीं हिंदी मिली. इस के बाद उन्हें पंजाबी फिल्मों में काम करने का मौका मिला. 1994 में आई फिल्म ‘इश्क में जीना इश्क में मरना’ से 17 साल की उम्र में दिव्या ने हिंदी फिल्मों में डेब्यू किया. मगर उन्हें बड़ा ब्रेक मिला फिल्म ‘वीरगति’ (1995) में. इस फिल्म में दिव्या ने सलमान खान की बहन संध्या का किरदार निभाया. नेपाली फिल्म ‘बसंती’ और मलयालम फिल्म ‘ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार’ में भी दिव्या ने काम किया है.

मगर ‘भाग मिल्खा भाग’ और ‘वैलकम टू सज्जनपुर’ फिल्मों में उनके काम को खूब वाहवाही मिली.

दिव्या ने पहली बार अपनी भूमिका फिल्म ‘चौक एंड डस्टर’ से बदली है. इस फिल्म में उनकी निगेटिव भूमिका है. इस समय लाइफ ओके के क्राइम शो ‘सावधान इंडिया’ को होस्ट कर रही हैं.

हाल ही में दिव्या से मुलाकात के दौरान अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए उन्होंने बताया, ‘‘मैं पंजाब के एक छोटे से गांव से हूं. वहां उस समय इंटर स्कूल भी नहीं था. मुझे अपनी सहेलियों के साथ दूसरे गांव में पढ़ने बस से जाना पड़ता था. बस स्टौप पर एक लड़का मुझे रोज घूरता था और जैसे ही बस आती तभी चढ़ने के बहाने से पीछे से धक्का मारा करता था. शुरू में तो मैं उस घटना को इग्नोर करती रही लेकिन मेरे इग्नोर करने से उस की हिम्मत और बढ़ने लगी. और वह बदतमीजियां करने लगा तब मैंने मां को बताया. तो उन्होंने कहा तूने बताने में देर कर दी है.  पहले ही दिन जब उसने तुझे टच किया था तभी तुझे उसे जवाब देना चाहिए था. तब मैंने ठान लिया कि अब मैं उसे सबक सिखा कर रहूंगी. दूसरे दिन जब में स्कूल के लिए बस पकड़ने निकली, मेरी मम्मी भी जो सरकारी जौब में थीं, वे भी सड़क पर अपने स्टाफ के साथ खड़ी हो गईं कि अगर बात आगे बढ़ी तो वो संभाल लेंगी. जैसे ही बस आई वह लड़का फिर से मेरे पीछे आया जैसे ही उस ने धक्का मारा मैं ने पलटकर तड़ाक से एक थप्पड़ उस के गाल पर रसीद कर दिया. थप्पड़ की आवाज सुन कर सभी देखने लगे. उस घटना के बाद वह लड़का कभी नजर नहीं आया. मेरे अंदर हिम्मत और आत्मविश्वास भर गया कि अपने ऊपर हो रहे अत्याचार को सहन नहीं वरन उस का डट कर सामना करना चाहिए.’’

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