लगभग तीन साल बाद फिल्म ‘हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया’ फ्रेंचाइजी की नई फिल्म ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ लेकर आए हैं निर्माता करण जोहर और निर्देशक शशांक खेतान. यदि आप दिमाग या तर्क की कसौटी पर बिना कसे फिल्म देखेंगें तो मनोरंजन पा सकते है.
फिल्म की कहानी शुरू होती है झांसी के मशहूर साहूकार अंबरनाथ (रितुराज सिंह) से जिनके दो बेटे हैं. आलोक (यष सिन्हा) व बद्रीनाथ (वरुण धवन). अंबरनाथ दिल के मरीज हैं. ऑक्सीजन का सिलेंडर हमेशा अपने पास रखते हैं. उन्होंने बड़े बेटे आलोक की शादी अपनी मर्जी से पढ़ी लिखी लड़की उर्मिला (श्वेता बसु प्रसाद) से कराई थी. बदले में उन्हें उर्मिला के पिता ने गाड़ियों के दो शो रूम दहेज में दिए थे. बेचारे आलोक को मजबूरन अपने प्यार साक्षी को भुलाना पड़ा. अब बद्री की शादी के लिए लड़की देखी जा रही है. बद्री का काम है पिता ने जिन्हें कर्ज दिया है, उनसे वसूली करते रहना.
उधर बद्री के दोस्त सोमदेव (साहिल वैद्य) ने ‘चुटकी शादी डॉट काम’ शुरू की है. एक दिन प्रकाष से जब बद्री कर्ज का पैसा लेने जाता है, तो पता चलता है कि उसकी शादी तय हो गयी. तब बद्री व उसका दोस्त सोम भी प्रकाष की शादी में बराती बनकर कोटा जाते हैं. जहां उनकी मुलाकात त्रिवेदी परिवार की दो बेटियों कृतिका और वैदेही (आलिया भट्ट) से होती है. कृतिका ने रितिक रोशन जैसा पति पाने के सपने के चलते तीस लड़के ठुकराए हैं.
उधर वैदेही का प्रेमी सागर उसके साथ सैलून खोलने के नाम पर उनके पिता के पी एफ के साढ़े बारह लाख रूपए लेकर चंपट हो चुका है. अब वैदेही का सपना जिंदगी में कुछ बनना है. वह एयर होस्टेस बनकर हवा में उड़ना चाहती है. पहली मुलाकात में ही दसवीं पास बद्री, वैदेही को दिल दे बैठता है. पर वैदेही साफ साफ कह देती है कि वह उससे शादी नहीं करना चाहती.