फिल्म ‘टायलेट : एक प्रेम कथा’ भले ही बोझिल हो गयी हो, मगर अक्षय कुमार व भूमि पेडणेकर के अभिनय के साथ साथ दर्शकों को फिल्म के दो गीत ‘हंस मत पगली प्यार हो जाएगा’ और ‘जुगाड़’ गीतों ने भी काफी आकर्षित किया है. इन गीतों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इनके संगीतकार विक्की प्रसाद की यह पहली फिल्म है. फिल्म के गीत ‘जुगाड़’ को तो अक्षय कुमार ने स्वरबद्ध किया है और इस गाने में एक संदेश भी है. पर संगीतकार बनने तक विक्की प्रसाद को काफी संघर्ष करना पड़ा. उनके संघर्ष की दास्तान सुनकर किसी की भी आंखें रो सकती हैं. उनके पिता बचपन में ही स्वर्ग सिधार गए थे, वह भी आर्मी में थे. नाना आर्मी में थे. नाना की असामयिक मौत के बाद नानी को आर्मी में नौकरी मिली थी. विक्की प्रसाद की परवरिश उनकी नानी ने ही किया. उनकी मां घरेलू महिला हैं.
संगीत के प्रति आपका रूझान कैसे हुआ?
मेरे परिवार में संगीत से जुड़ा कोई इंसान नहीं है. मेरे पिता की तो मुझे याद नहीं है. हम मूलतः बिहार के बकसर जिले से हैं. मगर मेरा जन्म मिजोरम के थिंजौल में हुआ. उसके बाद मेरा बचपन मेघालय की राजधानी के पास एंजौल में बीता, जहां मैं अपनी मां के साथ नानी के पास रहने गया था. मेरे पिता की ही तरह मेरे नाना आर्मी में थें. उनके देहांत के बाद नानी को आर्मी में नौकरी मिली थी. सच कहूं तो हमारी परवरिश तो मेरी नानी ने ही किया. मेरा जीवन बहुत ही आर्थिक अभाव में बीता. तीन साल की उम्र में एक शिक्षक की फेअरवेल पार्टी में एक गीत ‘‘चलते चलते मेरा ये गीत याद रखना..’’ को मैंने गाया था. तब उस शिक्षक ने मुझे पांच रूपए का ईनाम दिया था. बस उसी दिन से मुझे संगीत में रूचि पैदा हो गयी थी. तीन साल कि उम्र से ही मैंने गाना व नृत्य करना शुरू किया था. फिर स्टेज शो करने लगा. कुछ समय बाद मैंने सोच लिया कि अब मुझे संगीत में ही कुछ काम करना है. पर पढ़ाई भी करना जरूरी था. इसलिए मैंने इलाहाबाद से स्नातक तक की पढ़ाई की. फिर दिल्ली में संगीत में डिप्लोमा किया. साउंड इंजीनियरींग की भी ट्रेनिंग ली. उसके बाद संगीत जगत में कुछ अच्छा काम करने की सोच लेकर मैं मुंबई पहुंच गया.