जनवरी माह से ही संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘‘पद्मावती’’ का ‘राजपूत करणी सेना’द्वारा विरोध किया जा रहा था. मगर संजय लीला भंसाली और इस फिल्म के निर्माण से जुड़े स्टूडियो ‘‘वायकाम 18’’ ने इस विरोध की परवाह किए बगैर डेढ़ सौ करोड़ रूपए लगाकर फिल्म ‘‘पद्मावती’की शूटिंग लगातार जारी रखी. फिल्म को एक दिसंबर को प्रदर्शित करने का ऐलान भी कर दिया गया और ऐसा करते समय संजय लीला भंसाली ने अपने जनवरी माह में ‘राजपूत करणी सेना’को दिए गए लिखित वादे को भी अनदेखा कर दिया. इस वादे के मुताबिक संजय लीला भंसाली ने फिल्म को प्रदर्शित करने से पहले ‘राजपूत करणी सेना’को फिल्म दिखाने का वादा किया था. कई राजनेता भी इस फिल्म के विरोध में मुखर हो गए.
फिल्म का विरोध करने वाले कुछ संगठनों के नेताओं ने ऐसे ऐलान किए, जो कि सभ्य समाज के लिए सही नहीं कहे जा सकते. पिछले डेढ़ माह से हंगामा हो रहा था, पर संजय लीला भंसाली चुप थे. वह आज भी चुप हैं. मगर फिल्म का प्रदर्शन टल चुका है. आम जनता तक यही संदेश गया है कि ‘राजपूत करणी सेना’ के अलावा अन्य संगठन व कुछ नेता जिस तरह से फिल्म ‘पद्मावती’का विरोध कर रहे थे, उसे देखते हुए‘वायकाम 18’ ने एक दिसंबर को फिल्म का प्रदर्शन टाल दिया है. हो सकता है कि यह संगठन अब जश्न भी मनाने लगे हों. कुछ लोगों को लग रहा है कि फिल्म को ‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’से प्रमाणपत्र न मिल पाना सबसे बड़ी वजह है. मगर जो सच सामने आ रहा है उसके अनुसार ‘पद्मावती’ का प्रदर्शन टलने की वजह यह बिलकुल नही है?