2014 में महेश भट्ट निर्मित और हंसल मेहता निर्देशित माइग्रेशन की समस्या पर बनी फिल्म ‘‘सिटी लाइट’’ में राजकुमार राव के साथ अभिनय कर अपने कैरियर की शुरूआत करने वाली एक्ट्रेस पत्रलेखा हमेशा राजकुमार के साथ अपने रिश्तों को लेकर चर्चा में बनी रहती हैं. जबकि उनका अभिनय कैरियर अभी तक सही दिशा में आगे नहीं बढ़ पाया है. ‘सिटी लाइट’ के बाद 2016 में उन्होने इरोटिक फिल्म ‘‘लव गेम्स’’ में सेक्स पैडलर महिला का किरदार निभाया. फिर 2018 में वह मल्टीस्टारर फिल्म ‘नानू की जानू’ में नजर आयीं. अब उन्होंने अपने कैरियर की चौथी फिल्म दिव्येंदू शर्मा के संग ‘‘बदनाम गली’’ की है, जिसे दस मई को थिएटर की बजाय डिजिटल प्लेटफार्म ‘‘जी 5’’पर रिलीज किया गया.
‘‘सिटी लाइट्स’’ जैसी चर्चित व सफल फिल्म करने के बाद भी आपका कैरियर बहुत धीमी गति से आगे बढ़ रहा है?
-एक सफल व चर्चित फिल्म करने के बावजूद मेरे कैरियर की गति धीमी होने की वजह मुझे नहीं पता. पर मेरी राय में हर किसी की अपनी एक डेस्टिनी होती है. मगर यह फिल्म मेरी जिंदगी और करियर का अहम हिस्सा है. मैं आज भी सोशल मीडिया पर अक्सर ऐसे लोगों से मिलती हूं, जो कि इस फिल्म को लेकर मुझसे चर्चा करते हैं. अक्सर ऐसे लोगों से मेरी मुलाकात होती रहती है, जो कि इस फिल्म को लेकर मेरी तारीफ करते हैं. मेरी राय में हर चीज का आपकी जिंदगी व कैरियर पर असर होना जरुरी नही है. मेरे लिए महत्वपूर्ण बात यह रही कि मुझे अपने अंदर की कला को प्रदर्शित करने का प्लेटफार्म मिला, जिसके लिए मैं अपने आपको भाग्यशाली मानती हूं. वरना यहां तो हर साल हजारों लड़कियां आती हैं,पर सभी को मौका नहीं मिल पाता. सभी को महेश भट्ट साहब के साथ बैठकर उनसे घंटों बातें करने और उनकी ज्ञान भरी बातें सुनने का मौका नहीं मिलता. यह सच है कि ‘सिटीलाइट’ के बाद मेरी जिंदगी एकदम से बदल गयी. इस तरह जो कुछ हुआ, मेरे लिए अच्छा ही हुआ. कैरियर के साथ-साथ जिंदगी में भी मैं एक कदम ऊपर बढ़ी. इस फिल्म के बाद लोगों ने मुझे प्रोफेशनल एक्टर मान लिया. लोगों ने मान लिया कि मैं अभिनय करके पैसे कमा सकती हूं. इसलिए आज बैठकर मैं कैलकुलेट नहीं करती कि मुझे क्या मिला क्या नहीं? या मेरे साथ क्या होना चाहिए था?