पद्मश्री शेखर सेन के पांच एक पात्रीय नाटकों के हजार शो कर चुके पद्मश्री शेखर सेन बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं. वह गायक, संगीतकार, पेंटर, अभिनेता, सेट डिजायनर सब कुछ हैं. वह अपने एक पात्रीय संगीतमय नाटकों में सारी जिम्मेदारी खुद ही निभाते हैं. शेखर सेन उनमें से हैं, जो अपने माता पिता की याद में हर वर्ष छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर जाकर मुफ्त में अपने नाटकों के पांच शो करते हैं. इन शो में हर इंसान को नाटक देखने की पूरी छूट होती है.
मूलतः रायपुर, छत्तीसगढ़ निवासी शेखर सेन को संगीत अपने पिता डा. अरूण कुमार सेन व माता डा. अनीता सेन से विरासत में मिली है. दोनो मशहूर शास्त्रीय गायक व शिक्षाविद् थे. बौलीवुड में संगीतकार बनने की तमन्ना लेकर मुंबई आने वाले शेखर सेन ने बतौर गायक व संगीतकार गजल, भजन सहित कई विधाओं में 150 से अधिक संगीत के अलबम निकाले. उन्होंने धारावाहिक ‘रामायण’ में पार्श्वगायन के अलावा ‘गीता रहस्य’सहित कई धारावाहिकों को संगीत से संवारने के साथ साथ उन्हें अपनी आवाज से भी संवारा. फिर अपने अनुभवों का उपयोग करते हुए 1998 में उन्होंने संगीत प्रधान एक पात्रीय नाटक ‘‘तुलसीदास’’ लिखा, जिसका निर्देशन करने के साथ साथ उन्होंने इसमें अभिनय किया. उसके बाद उन्होंने भक्ति काव्य के हस्तियों कबीर, सूरदास, विवेकानंद के अलावा आम इंसान पर ‘साहेब’ नाटक लेकर आएं. यह सभी नाटक मानवीय भावनाओं व संवेदनाओ के साथ साथ कर्णप्रिय संगीत से ओतप्रोत है.
शेखर सेन की कला जगत की उपलब्धियों पर गौर करते हुए 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया और फिर दो माह बाद उन्हें ‘‘संगीत नाटक अकादमी’’ का अध्यक्ष नियुक्त किया. संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष के रूप में अपने लगभग चार वर्ष के कार्यकाल में ‘संगीत नाटक अकादमी’को नए आयाम प्रदान किए.