रेटिंगः डेढ़ स्टार
निर्माताः निखिल अडवाणी, मेानिशा अडवाणी, मधु भोजवाणी, भूषण कुमार, किशन कुमार, दिव्या खोसला कुमार
लेखक व निर्देशकः मिलाप मिलन झवेरी
कलाकारः सिद्धार्थ मल्होत्रा,रितेश देशमुख, रकुल प्रीत सिंह, तारा सुतारिया, रवि किशन, शाद रंधावा.
अवधिः दो घंटे 16 मिनट
अस्सी व नब्बे के लार्जर देन लाइफ वाले सिनेमा के शौकीन रहे लेखक व निर्देशक मिलाप मिलन झवेरी ‘सत्यमेव जयते’के सफल होने के बाद लार्जर देन लाइफ कथानक वाली फिल्म ‘‘मरजावां’’ लेकर आए हैं, मगर वह एक दमदार मसाला फिल्म बनाने में बुरी तरह से असफल रहे हैं.
कहानीः
मुंबई में पानी के टैंकर माफिया अन्ना(नासर)ने गटर के पास पड़े एक लावारिस बच्चे रघु को अपनी छत्र छाया में पाल पोस कर उसे बड़ा किया.अब वही लड़का रघु (सिद्धार्थ मल्होत्रा)अन्ना के अपराध माफिया के तमाम काले कारनामों और खून-खराबे में अन्ना का दाहिना हाथ बना हुआ है.अन्ना के कहने पर रघु दशहरा के दिन एक दूसरे टैंकर माफिया गायतोंडे के बेटे को मार देता है.रघु,अन्ना के हर हुक्म की तामील हर कीमत पर करता है. इसी के चलते अन्ना उसे अपने बेटे से बढ़कर मानते हैं.मगर इस बात से अन्ना का अपना बेटा विष्णु (रितेश देशमुख) को रघु से नफरत है. शारीरिक तौर पर बौना होने के कारण विष्णु को लगता है कि अन्ना का असली वारिस होने के बावजूद सम्मान रघु को दिया जाता है.पूरी बस्ती रघु को चाहती है. बार डांसर आरजू (रकुल प्रीत) भी रघु की दीवानी है.रघु के खास तीन दोस्त हैं.पर जब नाटकीय तरीके से कश्मीर से आई गूंगी लड़की जोया(तारा सुतारिया) से रघु की मुलाकात होती है, तो उसमें बदलाव आने लगता है. जोया, रघु को एक वाद्ययंत्र देती है. फिर संगीत प्रेमी जोया, पुलिस अफसर रवि यादव (रवि किशन) के कहने पर रघु को अच्छाई के रास्ते पर बढ़ने के लिए प्रेरित करने लगती है.मगर विष्णु अपनी चाल चलता है,जिसमें फंसकर रघु को अपने प्यार जोया को अपने हाथों गोली मारनी पड़ती है और रघु जेल पहुंच जाता है. जोया के जाने के बाद जेल में रघु जिंदा लाश बनकर रह जाता है.जबकि बस्ती पर विष्णु का जुल्म बढ़ता जाता है. अहम में चूर विष्णु, रघु को अपने हाथों मारने के लिए चाल चलता है और अदालत रघु को बाइज्जत बरी कर देती है. फिर कहानी में मोडत्र आता है. अंततःएक बारा फिर रावण दहन होता है.