सिर्फ 9 साल की छोटी उम्र में जानेमाने फिल्मकार ऋषिकेश मुखर्जी के साथ काम करने वाली संगीता को असली पहचान टीवी शो ‘देश में निकला होगा चांद’ में पम्मी के किरदार से मिली. इस के बाद संगीता ने ‘मेहंदी तेरे नाम की’, ‘विरासत’ और ‘परवरिश’ धारावाहिकों में अपनी अदायगी से दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बना ली. शादी के बाद परिवार और कैरियर के बीच अच्छा सामंजस्य बनाए रखने वाली संगीता इस समय स्टार प्लस के शो ‘रिश्तों का चक्रव्यूह’ में सुधा का किरदार निभा रही हैं. पेश हैं, उन से हुई बातचीत के कुछ खास अंश.
ग्रे शेड किरदार निभा कर कैसा लगा?
जब इस शो का प्रस्ताव मेरे पास आया और मुझे मेरे किरदार के बारे में बताया गया कि वह नैगेटिव है, तब इस के लिए हां करने में थोड़ी हिचकिचाहट हुई थी. लेकिन जब मैं ने सुधा का किरदार पढ़ा तब मुझे लगा कि इस रोल को करना मेरे लिए चैलेंजिंग होगा. यह रोल पूरी तरह से ग्रे शेड वाला था और मैं ने भी हर शो में कभी एक जैसे किरदार नहीं निभाए हैं, इसलिए इस के लिए हां कर दी.
आप ने छोटे परदे का हर दौर देखा है. पहले और आज के दौर में क्या फर्क लगा?
1987 में मेरी ऐंट्री टीवी पर धारावाहिक ‘हम हिंदुस्तानी’ से हुई थी. उस समय मैं एक छोटी बच्ची थी और उस समय सैटेलाइट चैनल शुरू नहीं हुए थे सिर्फ दूरदर्शन ही था. 1995 में जीटीवी पर मेरा पहला शो ‘कुरुक्षेत्र’ आया. उस समय आज की तरह 12 घंटे शूटिंग करने का चलन नहीं था, क्योंकि डेली सोप न के बराबर होते थे. ज्यादातर टीवी शो वीकली थे. हम लोग आराम से काम करते थे, इसलिए शूटिंग के बाद भी अपने परिवार को समय दे पाते थे. लेकिन आज टीवी में पैसा बढ़ा है. इस के साथसाथ 12 से 14 घंटे काम करने का प्रैशर भी बढ़ा है. तकनीक ज्यादा ऐडवांस हुई है, जिस की वजह से नए कलाकारों को भी लंबे समय तक काम मिलता रहता है.