सर्दियों में धनिया हर किसी का पसंदीदा हो जाता है, सर्दियों में बाजार में धनिया की ताजी पत्तियां मिलती हैं, जिसका उपयोग हर तरह की सूखी और रसेदार सब्ज़ी में परोसते समय मिलाने और सजावट करने के लिए किया जाता है , साथ ही धनिये की चटनी पूरे भारत में प्रसिद्ध है. आलू की चाट और दूसरी चटपटी चीज़ों में इसको टमाटर या नीबू के साथ मिलाया जा सकता है. सूप और दाल में बहुत महीन काट कर मिलाने पर रंगत और स्वाद की ताज़गी़ अनुभव की जा सकती है. हर तरह के कोफ्ते और कवाब में भी यह खूब जमता है. इसकी पत्तियों को पका कर या सुखा कर नहीं खाया जाता क्यों कि ऐसा करने पर वे अपना स्वाद और सुगंध खो देती हैं.
आयुर्वेद शास्त्र में महर्षि चरक एवं महर्षि सुश्रुत ने धनिये के अनेक औषधीय प्रयोगों का वर्णन किया है. आयुर्वेद के प्रसिध्द ग्रंथ ‘भाव प्रकाश’ में भी धनिये के अनेक प्रयोग बताये गये हैं. धनिये का प्रयोग खाना बनाने में मसाले के रूप में किया जाता है. धनिया सिर्फ मसाले के योग्य नहीं होता बल्कि इसका प्रयोग अनेक बीमारियों में औषधि के रूप में भी किया जाता है. आयुर्वेदज्ञों के अनुसार धनिया त्रिदोषहर, शोधहर, कफध्न, ज्वरध्न, मूत्रजनक एवं मस्तिष्क को बल प्रदान करने वाला होता है.
आयुर्वेद की औषधि के रूप में मुख्ययोग तुम्बर्वादि चूर्ण, धान्य-पंचक, धान्यचतुष्क, धान्यकादिहिम आदि प्राप्त होते हैं. हरी महक वाली पत्ती तथा सूखे धनियों के बीच का औषधीय प्रयोग परम्परागत रूप में निम्नानुसार किया जाता है-
1. धनिया विटामिन "ए" का भंडार होता है. इसमें कई प्रकार के रोगों को दूर करने की क्षमता होती है. हरा धनिया थकान मिटाता है. स्फूर्ति लाने में सहायक होता है.