जब से लौकडाउन हुआ, 12 वर्षीया निया घर के अंदर कभी लैपटौप तो कभी मोबाइल के साथ व्यस्त रही. वह कभी चिपस के पैकेट खाली करती रहती तो कभी किचेन में जा कर मैगी, पास्ता बना कर ले आती, ‘मौम, प्लीज टेस्ट.’ वर्तिका भी थोड़ाबहुत खा लेती और बेटी की तारीफ भी कर देती. उन्होंने यह ध्यान ही नहीं दिया कि निया का वेट कितना बढ़ता जा रहा है.
सालडेढ़साल तक तो निया फूल कर डब्बा बन चुकी थी. अब उन्होंने निया के खानेपीने पर रोकटोक लगानी शुरू की तो वह उन से उल?ा पड़ती क्योंकि बढ़ती उम्र और दिनभर खाते रहने की उसे आदत पड़ चुकी थी. मां वर्तिका परेशान रहतीं लेकिन उन के मन में यह धारणा थी कि इस उम्र में जिम जाने से निया की ग्रोथ प्रभावित होगी और उस की लंबाई नहीं बढ़ पाएगी.
वर्तिका बेटी के बढ़ते मोटापे को देख कर चिंतित रहती थीं. एक दिन उन की सहेली शैलजा आई जो स्वयं इस समस्या से दोचार हो चुकी थी. उस ने बेटी को आउटडोर गेम्स के साथ डाइट कंट्रोल की सलाह दी. लेकिन इन सब के बाद भी कुछ फायदा नहीं दिखा तो उन के पति ने बेटी को जिम जौइन करवाया.
वहां पर ट्रेनर ने बताया कि 12-13 साल की उम्र में हड्डियां और अंग मजबूत हो जाते हैं. इस समय घर में ऐक्सरसाइज और बाहर साइक्ंिलग, स्विमिंग या गेम्स खेल कर शरीर की हड्डियों को मजबूती मिलती है परंतु यदि यह सुविधा नहीं प्राप्त है तो जिम में ट्रेनर की देखरेख में हलकी ऐक्सरसाइज करनी चाहिए. 14-15 वर्ष की उम्र में शरीर का लचीलापन समाप्त हो जाता है और इसी उम्र में जिम जाना शुरू कर देना चाहिए.