क्रूर कोरोना के कहर से दुनिया कराह रही है. वायरस को ले कर तकरीबन रोज़ नएनए शोध सामने आ रहे हैं. ताज़ातरीन शोध यह है कि इस के कुछ खतरनाक संकेतों, जैसे हार्ट, फेफड़ों, गुरदे, फालिज या लकवा, त्वचा या स्किन आदि पर होने वाले असर, में एक समानता पाई जाती है. वह समानता है संक्रमित इंसानों के जिस्म के किसी भी हिस्से के ख़ून में बनने वाले थक्के, जिन्हें ब्लड क्लौट्स कहते हैं. थक्के बनने से पहले खून गाढ़ा होने लगता है.
ब्लड क्लौट्स की समस्या उस समय होती है जब ख़ून गाढ़ा हो जाता है और नसों में उस के बहाव की रफ़्तार धीमी पड़ जाती है. ऐसा आमतौर पर हाथों और पैरों में होता है, मगर फेफड़ों, दिल या दिमाग़ की नसों में भी ऐसा हो सकता है. अधिक ब्लड क्लौट्स जानलेवा भी हो सकता है क्योंकि इस से फालिज, हार्ट अटैक, फेफड़ों की नसों में ख़ून का रुकना व दूसरी बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाता है.
दुनियाभर के डाक्टर अभी यह नहीं पता कर पाए हैं कि कोरोना वायरस से ख़ून क्यों गाढ़ा होने लगता है. इस संबंध में पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के प्रोफैसर लुईस कापलान ने एक इंग्लिश डेली से बात करते हुए बताया कि चिकित्सा विशेषज्ञों ने इस तरह के थक्के (ब्लड क्लौट्स) पहले कभी नहीं देखे हैं.
उन्होंने कहा कि वैसे तो हम यह समझ जाते हैं कि थक्के कहां हैं, मगर अब तक हम यह नहीं समझ पाए कि ये थक्के क्यों बन रहे हैं? प्रोफैसर लुईस कापलान ने कहा कि हम अभी तक इस की सही वजह नहीं जान पाए हैं और यही कारण है कि इस को ले कर हम चिंतित और भयभीत हैं.