वर्ल्ड हेल्थ और्गेनाइजेशन की यह बात कि, नोवल कोरोना वायरस से लड़ाई लंबी चलेगी, सही प्रतीत होती है क्योंकि अब भारतीय वैज्ञानिकों ने कह दिया है कि जुलाई के अंत या अगस्त में भारत में कोरोना वायरस का दूसरा दौर सामने आ सकता है. वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि मौनसून के दौरान संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़ सकती है.

इसी बीच, अमेरिकी वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस पर सूर्य की सीधी किरणों का शक्तिशाली प्रभाव पड़ता है, जिससे उम्मीद है कि दुनियाभर में क़हर बरपा करने वाली कोविड-19 महामारी का प्रसार तेज गरमी में कम हो जाएगा.

भारत के शिव नादर विश्वविद्यालय के गणित विभाग के सह प्राध्यापक समित भट्टाचार्य कहते हैं कि कोरोना वायरस से उभरी महामारी का दूसरा दौर जुलाई अंत या अगस्त में मौनसून के दौरान देखने को मिल सकता है. हालांकि, उनका यह भी कहना है कि शीर्ष पर पहुंचने का समय इस बात पर निर्भर करेगा कि हम उस समय सामाजिक दूरी को किस तरह नियंत्रित करते हैं. बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के प्राध्यापक राजेश सुंदरेसन भी समित भट्टाचार्य की बात से सहमत हैं.

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वैज्ञानिक राजेश सुंदरेसन कहते हैं कि जब हम सामान्य गतिविधि के दौर में लौटेंगे, उस वक्त ऐसी आंशका रहेगी कि संक्रमण के मामले एक बार फिर बढ़ने लगें. भट्टाचार्य कहते हैं कि जब तक बाजार में कोरोना की वैक्सीन आती है उस समय तक हमें चौकस रहना होगा. वे कहते हैं कि ध्यान रखिए कि मानसून के महीने हमारे देश में अधिकतर स्थानों पर फ्लू के मौसम के महीने भी होते हैं, इसलिए हमें फ्लू के शुरुआती लक्षणों को बिलकुल भी अनदेखा नहीं करना है.

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