इंसान एक सोशल एनिमल है. मेट्रो सिटीज में ही नही बल्कि गाँव और कस्बों में भी सामुदायिक मुलाकाते और मेल जोल सभी की लाइफस्टाइल का अभिन्न हिस्सा है. भारत जैसे देश में तो सामजिक मेल जोल, उत्सव और पार्टीज लोगों के लिए एक वे ऑफ़ लाइफ़ है और इनका अलग ही चार्म है और लोगों में इनके प्रति अलग ही उमंग और उत्साह होता है . लेकिन दुर्भाग्यवश इनपर हाल ही में एक ब्रेक सा लग गया है और रुकावट आ गयी है और इसका कारण भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में एक ही है - कोरोना वायरस. इस एक शब्द ने ना केवल पूरी दुनिया को डरा दिया है बल्कि दुनिया को एक दूसरे से काटते हुए सभी को अपने घरों में लॉक डाउन होने पर मजबूर कर दिया है.
अब लॉक डाउन के इन नियमो का पालन करना ना केवल एक मजबूरी ही है बल्कि ज़रूरत भी , खुद के लिए और पूरे समाज के लिए. covid 19 के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए यही समय की मांग और हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम कुछ दिनों तक सामजिक डिस्टेंस मेन्टेन करते हुए फिजिकल कांटेक्ट को अवॉयड करें. सरकार की तरफ से इस ओर जागरूकता भी फैलाई जा रही है साथ ही सभी को सलाह दी जा रही है की ज़रूरत ना हो तो घर पर ही रहते हुए अपने काम करें, ऑफिस के काम घर से ही करें और बाहर जाना कुछ समय टाल दें. लेकिन खुद को आईसोलेट करने के विचार से ही आज लोग तनाव ग्रसित हो रहे है और एंग्जायटी और डिप्रेशन का शिकार हो रहे है, उन्हे यह सोच सबसे ज़्यादा परेशान कर रही है की वो घर पर खुद को आईसोलेट कर के क्या करे. ना तो वो किसी तरह की यात्रा कर सकते हैं और अपनी सेहत और सौंदर्य का ध्यान रखने के लिए जिम, स्पा सैलून भी नहीं जा सकते हैं. यह स्थिति हेल्थ और फिटनेस फ्रीक्स के लिए एक नाइटमेयर की तरह साबित हो रही है लेकिन थोड़ी सी सावधानीपूर्वक बरत कर और स्मार्ट डिसीशन लेते हुए हम पूरी स्थिति को अपने लिए एडवांटेज की स्थिति में बदल सकते हैं और सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं.