तनाव स्वास्थ्य से संबंधित एक गंभीर समस्या है परन्तु इसे एक सामाजिक कलंक माना जाता है जो इससे प्रभावित व्यक्ति को उपचार लेने से रोकता है.
हालांकि प्रत्येक व्यक्ति कभी न कभी तनाव महसूस करता है फिर भी तनाव के कई लक्षण हैं जैसे घबराहट, भूख न लगना, नींद न आना, अवसाद और थकान आदि जो लगभग दो सप्ताह तक रहते हैं.
बच्चों में तनाव की समस्या बहुत तेज़ी से बढ़ रही है. लगभग तीस प्रतिशत महिलाएं और पंद्रह प्रतिशत पुरुष तनाव से ग्रसित होते हैं, हालांकि सही संख्या इससे अधिक हो सकती है क्योंकि पुरुष सामान्यत: इसका उपचार लेने से कतराते हैं.
पचास प्रतिशत से अधिक लोग ऐसा मानते हैं कि तनाव एक व्यक्तिगत कमजोरी होती है कोई मेडिकल समस्या नहीं है. तनाव से ग्रसित लगभग अस्सी प्रतिशत लोगों को इसका उपचार नहीं मिलता. तनाव से ग्रसित लगभग अस्सी प्रतिशत लोग आत्महत्या कर लेते हैं.
तनाव के बारे में परेशान करने वाली एक बात यह है कि जो लोग तनाव के उपचार के दवाईयों का सेवन कर रहे हैं उनमें से केवल एक तिहाई लोग ही यह रिपोर्ट देते हैं कि उन पर दवाईयों का असर हो रहा है.
इन दवाईयों के बहुत गंभीर दुष्परिणाम होते हैं तथा ये युवाओं को आत्महत्या की प्रवृत्ति की ओर ले जाती हैं.
कम तनाव के उपचार के लिए हर्बल दवाईयां उपलब्ध हैं जो अपने तरीके से काम करती हैं या गंभीर तनाव के मामले में पारंपरिक उपचार में सहायक होती हैं. ये घबराहट, तनाव और अवसाद का सफलतापूर्वक इलाज करती हैं तथा आरामदायक नींद प्रदान करती हैं.
- कुछ मानसिक तरीकों से भी आप तनाव का इलाज कर सकते हैं. इसे संज्ञानात्मक व्यवहार उपचार कहा जाता है. विचार करना अच्छी बात है परन्तु नकारात्मक विचार न करें.