कफ या खांसी सांस से संबंधित लगभग सभी रोगों का आम लक्षण है. लेकिन इसे गंभीरता से लेना आवश्यक होता है, क्योंकि इस के प्रति लापरवाही करना आगे जा कर हानिकारक हो सकता है. यह कई गंभीर बीमारियों को जन्म देने में सक्षम है और यह रोग किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकता है. दरअसल, खांसी श्वसन नलियों की परत में उपस्थित संवेदी तंत्रिकाओं की उत्तेजना से उत्पन्न होती है औैर परिणाम के रूप में हवा उच्च दबाव से श्वसन नली से बाहर निकलती है. खांसी श्वसन तंत्र को धूल, गंदगी व कीटाणु से बचाने के लिए शरीर की रक्षात्मक क्रिया है. धूल व गंदगी श्वसन तंत्र में संक्रमण पैदा कर सकती है. खांसी आने का मतलब है कि श्वसन नलियों में कुछ अवांछित कण हैं, जो वहां नहीं होने चाहिए, जैसे धूल के कण या भोजन के कण इत्यादि. खांसी एक व्यक्ति द्वारा स्वेच्छा से ली जा सकती है. लेकिन सामान्यतया यह एक अनैच्छिक प्रक्रिया है.
खांसी के कारण और प्रकार
खांसी को अवधि के अनुसार 2 प्रकार में वर्गीकृत किया जा सकता है.
कम अवधि की खांसी: इस प्रकार की खांसी अचानक शुरू होती है पर 2-3 सप्ताह में ठीक हो जाती है. इस प्रकार की खांसी के मुख्य कारण सर्दी, अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक इन्फैक्शन या ऐलर्जी, ब्रौंकाइटिस, निमोनिया, श्वसन नली में किसी वस्तु के फंस जाने से या फिर दिल का दौरा पड़ने से होती है.
लंबी या ज्यादा अवधि की खांसी: इस प्रकार की खांसी 3 सप्ताह से अधिक समय तक रहती है. लंबी या ज्यादा अवधि की खांसी के मुख्य कारणों में धूम्रपान, सीओपीडी, दमा, टीबी, ऐलर्जी हैं.