गर्भावस्था महिलाओं के लिए वह समय होता है जब वे शिशु की सुरक्षा के लिए अपने खानेपीने और स्वास्थ्य का हर संभव ध्यान रखती हैं. गर्भवती महिलाएं हमेशा खुश रहने और अपना ज्यादा से ज्यादा ध्यान रखने की कोशिश करती हैं.
कुछ महिलाओं के लिए गर्भावस्था तकलीफदेह हो सकती है जैसे उन्हें मौर्निंग सिकनैस, पैरों में सूजन, चक्कर और मिचली आना आदि परेशानियां हो सकती हैं. मगर आमतौर पर गर्भावस्था हमेशा महिलाओं में सकारात्मक बदलाव ले कर आती है. इस से उन के शरीर और दिमाग दोनों में संपूर्ण रूप से सकारात्मक बदलाव आते हैं.
शरीर पर गर्भावस्था के सकारात्मक प्रभाव
- गर्भावस्था का अर्थ है कम मासिकस्राव, जिस से ऐस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरौन हारमोन का संपर्क सीमित हो जाता है. ये हारमोंस स्तन कैंसर के खतरे को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं, क्योंकि ये कोशिकाओं की वृद्धि को प्रेरित करते हैं और महिलाओं के स्तन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं. साथ ही गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान ब्रैस्ट सैल्स में जिस तरह के बदलाव होते हैं, वे उन्हें कैंसर कोशिकाओं में बदलने के प्रति अधिक प्रतिरोधक बना देते हैं.
- गर्भावस्था के दौरान पेल्विक क्षेत्र में रक्तसंचार बढ़ जाता है, प्रसव और डिलिवरी से गुजरने के बाद महिलाओं को खुद में एक नई ताकत महसूस होती है.
दिमाग पर सकारात्मक प्रभाव
- बच्चा होने से औटोइम्यून डिसऔर्डस जैसे मल्टीपल स्केल्रोसिस के होने का खतरा कम हो जाता है.
- गर्भावस्था सकारात्मक व्यवहार ले कर आती है और महिला को मजबूत बनाती है. इस से जीवन में आने वाले बदलावों से लड़ने में आसानी हो जाती है, साथ ही नकारात्मक सोच व चिंता से भी बचाव होता है.