पूरे शरीर के स्वास्थ्य का पता लगाने के लिए थायराइड एक मुख्य जरिया है. छोटी सी थायराइड ग्रंथि आप के शरीर की ज्यादातर मैटाबोलिक क्रियाओं पर हानिकारक प्रभाव डाल सकती है. थायराइड में होने वाली किसी भी तरह की गड़बड़ी वजन में बढ़ोतरी, वजन में कमी और अन्य कई बीमारियों से ले कर थायराइड कैंसर तक का कारण बन सकती है.
थायराइड से जुड़ी सब से सामान्य समस्या थायराइड हारमोंस का असामान्य उत्पादन है. थायराइड हारमोंस की बहुत अधिक मात्रा हाइपरथायराइडिज्म के नाम से जानी जाती है. हारमोंस का पर्याप्त उत्पादन भी हाइपरथायराइडिज्म की स्थिति पैदा करता है. हालांकि इस का प्रभाव कष्टकारक और असुविधाजनक हो सकता है, लेकिन सही जांच और उपचार हो जाए तो थायराइड से जुड़ी ज्यादातर समस्याओं से आसानी से निपटा जा सकता है.
हाइपरथायराइड का सब से बड़ा कारण औटोइम्यून बीमारियां, गलत दवा लेना और लीथियम का उपयोग है. परिवार में थायराइड असंतुलन की समस्या किसी को रही हो, तो वह भी जोखिम का कारण बन सकती है. हाइपरथायराइडिज्म के बाद महिला की कामेच्छा में कमी, मासिकधर्म की असामान्यता और गर्भधारण में परेशानी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. गर्भावस्था के दौरान भ्रूण का विकास मां के थायराइड हारमोन से नियंत्रिण होता है और प्रसव के बाद भी विकास थायराइड से ही नियंत्रित होता है.
आयोडीन का महत्त्व
यह एक महत्त्वपूर्ण माइक्रोन्यूट्रिएंट है जो थायराइड हारमोन के निर्माण के लिए आवश्यक है. आयोडीन डैफिशिएंसी आयोडीन तत्त्व की कमी है. यह हमारी डाइट का एक आवश्यक पोषक तत्त्व है. आयोडीन की कमी से हाइपोथायराइडिज्म हो जाता है. अगर समय रहते इस का उपचार न कराया जाए तो गर्भधारण करने में समस्या आना, बांझपन, नवजात शिशु में तंत्रिका तंत्र से सबंधित गड़बडि़यां आदि होने का खतरा बढ़ जाता है.