बिजी लाइफस्टाइल ने लोगों को मशीन बना दिया है. अपने फैमिली और बिजनेस में व्यक्ति इस कदर खो जाता है कि उसे अपने लिए भी फुरसत नहीं मिलती और इसी जल्दबाजी में व्यक्ति अपनी हेल्थ के प्रति लापरवाह हो जाता है. उसे पता भी नहीं चलता और वह तरह-तरह के बीमारियों का शिकार हो जाता है.

हाइपरटेंशन या हाई ब्लडप्रैशर शहरी जीवन की एक बहुत ही कौमन बीमारियों में से एक है. आप यदि अपने आसपास नजर दौडाएं तो आप को कोई न कोई व्यक्ति हाई ब्लडप्रैशर यानी हाई बीपी से पीडि़त दिख ही जाएगा. एक सर्वेक्षण के अनुसार भारतीय शहरों में रहने वाले हर 4 अडल्ट में से एक हाई बीपी का शिकार पाया गया है.

ये भी पढ़ें- 7 टिप्स: वर्कआउट करते समय रखें हेल्थ का खास ख्याल

हमारा दिल लगातार ब्लड वैसेल्स (रक्त वाहिकाओं) के जरिये बौडी के अलग-अलग हिस्सों को खून सप्लाई करता है. खून के बहाव का दबाव वाहिका की दीवार पर पड़ता है. इसी दबाव की माप को ब्लडप्रैशर कहते हैं. जब यह दबाव एक निश्चित मात्रा से बढ़ जाता है तो इसे हाइपरटेंशन या हाई ब्लडप्रैशर कहा जाता है.

हाई ब्लडप्रैशर के लक्षण

किसी भी व्यक्ति में हाई ब्लडप्रैशर को हम 3 भागों में बांट सकते हैं , प्रारंभिक, मध्यम व अत्याधिक. इस तरह हाई ब्लडप्रैशर को अलगअलग 3 स्तरों पर रखते हैं. प्रारंभिक और मध्यम स्तर तक बढ़े हुए ब्लडप्रैशर के आमतौर पर कोई खास लक्षण व्यक्ति में नजर नहीं आते. इस कारण इसे ‘साइलेंट किलर’ भी कहा जाता है.

तकलीफ बढ़ने पर बारबार होने वाला सिर दर्द, धुंधला दिखाई देना, नींद न आना, चक्कर आना आदि हाई ब्लडप्रैशर के संकेत हो सकते हैं. हाई ब्लडप्रैशर के द्वारा स्वास्थ संबंधी गंभीर समस्याएं उत्पन्न होती है. इस के कारण हृदय और गुर्दा रोग, मस्तिष्क आघात (ब्रेन स्ट्रोक) आंखों को क्षति पहुंचना जैसे गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...