विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले दिनों महिलाओं के संबंध में एक बड़ी महत्वपूर्ण बात कही है. अपनी नियमित ब्रीफिंग के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रवक्ता ने इस साल की शुरुआत में कहा कि महिलाओं को सिर्फ स्त्री रोग विशेषज्ञों तक ही अपनी स्वास्थ्य संबंधी जांच के लिए सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि उन्हें साल में कम से कम दो बार किसी जनरल फिजीशियन से भी कंसल्ट करना चाहिए. क्योंकि आधुनिक चमक दमक और प्रोफेशनलिज्म के चलते भले स्त्रियों के लिए महिला रोग विशेषज्ञ महत्वपूर्ण हों, लेकिन जनरल फिजीशियन की भी नजरों से उनके स्वास्थ्य को गुजरना चाहिए, जिससे वो कई ऐसी चीजें पकड़ सकते हैं जो फोक्स्ड स्त्री रोग विशेषज्ञ शायद न पकड़ सकें.
वास्तव में, जीवन के हर पड़ाव पर सालाना शारीरिक जांच करवाते रहना बहुत जरूरी है, इसके लिए बूढ़ा होना कोई शर्त नहीं है. सालाना शारीरिक जांच पर इसलिए जोर होना चाहिए क्योंकि इससे आपका चिकित्सक आपको बता सकेगा कि आपकी शारीरिक गतिविधियां सामान्य रूप से चल रही हैं या नहीं, साथ ही आप उसके साथ अपनी लाइफस्टाइल हैबिट्स यानी आदतों पर भी विचार-विमर्श कर पाएंगी. इसमें आपको वजन घटाने-बढ़ाने संबंधी सलाह दी जा सकती है, स्क्रीनिंग टेस्ट किए जा सकेंगे और आपकी प्रतिरक्षा क्षमता को भी नापा जा सकेगा.
वैसे तो हर चिकित्सक की जांच करने का अपना तरीका होता है, पर आमतौर पर शारीरिक जांच में शामिल होता हैः
- महत्वपूर्ण संकेत मूल्यांकन (रक्तचाप, तापमान, हृदय गति, श्वसन दर)
- फैमिली हिस्ट्री देखी जाती है, न्यूरोलॉजिकल, त्वचा संबंधी, सिर और गर्दन, हाथ-पैर और स्तनों (महिलाओं के लिए) की जांच की जाती है.