32 वर्षीय रश्मि को पेरिटोनियल बीमारी के साथ ओवेरियन कैंसर था, कीमोथेरेपी देने के बाद भी उसकी बीमारी बनी रही. वह युवा थी और पहले से ही वह माँ बन चुकी थी, ऐसे में रश्मि का इलाज हाइपैक तरीके से किया गया. चार साल बाद भी वह स्टेज 4 कैंसर से जंग जीतकर बेहतर जिंदगी जी रही है, जो इस इलाज की पद्यति से संभव हो पाया.
65 वर्षीय महिला अनीता एपेंडिसाइटिस ट्यूमर से परेशान थी, जो उसके लीवर, पेट और कई अन्य अंगों में फैल गया था, हाइपैक के बाद, स्टेज चार कैंसर के बावजूद, वह पिछले दो वर्षों से ठीक है.
असल में कैंसर का सही इलाज आज तक संभव नहीं हो पाया है, लेकिन इसकी संख्या लगातार बढ़ रही है. अब तो इसे लाइफ स्टाइल डिसीज की संज्ञा भी दी जाने लगी है. हाल ही में एक शोध से पता चला है कि आज सबसे अधिक ब्रैस्ट कैंसर, फिर लंग्स कैंसर और इसके बाद प्रोस्टेट कैंसर का आता है और इसकी संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. इस बारें में नवी मुंबई के रिलायंस हॉस्पिटल के ओंको सर्जन डॉ. डोनाल्ड जॉन बाबू का कहना है कि कैंसर का सबसे बड़ा खतरा यह है कि ये कई बार पूरे शरीर में फैल जाता है, जिसके चलते इसका इलाज और मुश्किल हो जाता है. खासकर एब्डोमिनल कैविटी (पेरिटोनियम या पेरिटोनियल गुहा) की लाइनिंग जैसी मुश्किल जगहों में होने वाले कैंसर का इलाज अधिक चुनौतीपूर्ण होता है. पेरिटोनियम, एब्डोमिन से लगे झिल्लीनुमान उत्तक का आवरण होता है. पेरिटोनियम, पेट के अंगों को सहारा देता है, साथ ही तंत्रिकाओं, रक्त वाहिकाओं और लिम्फ के गुजरने के लिए एक सुरंग के रूप में कार्य करता है. पेरिटोनियल गुहा (कैविटी) में डायफ्राम, पेट और पेल्विक कैविटीस की वॉल्स के साथ पेट के अंग भी होते है.