गर्भावस्था के कारण महिलाओं के शरीर में हारमोन से जुड़े कई बदलाव आते हैं. इन में से कुछ बदलाव के कारण उन्हें मसूड़ों की बीमारी होने का जोखिम बढ़ जाता है. गर्भावस्था के दौरान शरीर में प्रोजेस्टेरौन का स्तर बढ़ जाता है, जिस से प्लाक में मौजूद बैक्टीरिया के प्रति गतिविधि तेज हो जाती है और इस से मसूड़ों की बीमारी यानी सूजन (जिंजिवाइटिस) की समस्या हो सकती है. प्लाक वह परत होती है, जो दांतों पर जम जाती है. आमतौर पर अच्छी ओरल केयर वाली गर्भवती महिलाओं में भी प्रोजेस्टेरौन का स्तर बढ़ने के कारण यह समस्या हो सकती है, इसलिए अगर कोई महिला गर्भधारण करने की योजना बना रही है, तो बेहतर होगा कि वह डैंटल चैकअप करा ले और अगर जरूरत हो तो दांतों की समस्या का इलाज भी करा ले. यह गर्भधारण से पूर्व होने वाले चैकअप में शामिल होना चाहिए.
मसूड़ों की बीमारी जिंजिवाइटिस दांतों के आसपास मौजूद कोमल कोशिकाओं का एक संक्रमण होता है. इस में दर्द नहीं होता और यही वजह है कि इस पर ध्यान नहीं जाता और इसलिए इस का इलाज भी नहीं हो पाता है. इस के चेतावनी संकेतों में मसूड़ों का लाल या उन से खून निकलना, सूजन आना या कमजोर होना आदि शामिल है. ऐसे मसूड़े जिन की दांतों पर पकड़ ढीली हो गई हो या फिर वे दांतों से अलग हो रहे हों, इस बीमारी के संभावित संकेत हैं. मुंह में खराब स्वाद का रहना, सांस की बदबू या फिर स्थाई दांतों की पकड़ में बदलाव आना भी मसूड़ों में बीमारी होने का संकेत है.