ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) हॉर्मोन, व्यवहार और पर्यावरण संबंधी अलग-अलग तरह के घटकों से जुड़ा रहा है. ब्रेस्ट कैंसर होने का सबसे संभावित कारण है व्यक्ति के जेनेटिक कोड और उनके आस-पास के परिवेश के बीच जटिल अंतःक्रिया. ब्रेस्ट कैंसर भारतीय महिलाओं को प्रभावित करने वाले सबसे प्रमुख कैंसर में से एक है. भारतीय महिलाओं को होने वाले सभी प्रकार के कैंसर में ब्रेस्ट कैंसर का अनुपात 14% है. भारत में ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों में से 60% कैंसर के बाद जीवित रहते हैं.
डॉ. मंजू गुप्ता, सीनियर कंसलटेंट और प्रसूति विशेषज्ञ बता रहीं है ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण और उपचार.
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण
1. लिंग के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं, पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर की आशंका अधिक रहती है.
2. हमारी आयु की अवस्था से हमारे शरीर में ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम का काफी कुछ पता चलता है.
3. परिवार में ब्रेस्ट कैंसर होने का इतिहास या कोई वंशानुगत जीन जिससे कैंसर का खतरा बढ़ता है.
4. बहुत ज्यादा विकिरण (रेडिएशन) के संपर्क में रहने से ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है.
5. अपनी सेहत का ध्यान नहीं रखना और मोटा होने से ब्रेस्ट कैंसर का आपका खतरा बढ़ जाता है.
6. अधिक उम्र में रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज़) से ब्रेस्ट कैंसर का आपका जोखिम बढ़ जाता है.
7. रजोनिवृत्ति पश्चात हॉर्मोन थेरेपी. रजोनिवृत्ति के संकेतों और लक्षणों के उपचार के लिए एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के संयोजन के साथ हॉर्मोन थेरेपी चिकित्सा कराने वाली महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर होने का जोखिम अधिक रहता है.
ब्रेस्ट कैंसर के अनेक रूप होते हैं, लेकिन डक्टल कार्सिनोमा सबसे अधिक बार-बार होने वाला कैंसर है. ब्रेस्ट के निकट मिल्क डक्ट्स में उत्पन्न होने वाले ट्यूमर (गाँठ) को डक्टल कार्सिनोमा कहा जाता है. वे इनवेसिव या नॉन-इन्वासिव हो सकते हैं और उनमें शरीर के दूसरे हिस्सों में फ़ैल जाने की शक्ति होती है. कोई गाँठ, स्तन के आकार में बदलाव, या निप्पल के स्वरूप में बदलाव, ये सभी ब्रेस्ट कैंसर के प्रथम चरण के संकेत हैं, जो सबसे अधिक होता है. ट्यूमर निकालने की सर्जरी के बाद कैंसर की बची-खुची कोशिकाओं को मारने के लिए आम तौर पर रेडिएशन थेरेपी (विकिरण चिकित्सा) की जाती है.