गर्भाधान के बाद अगर कोई बच्चा 37 हफ्तों में या उस से थोड़ा पहले जन्म लेता है तो उसे प्रीमैच्योर बेबी यानी समय से पहले जन्मा बच्चा कहा जाता है. आमतौर पर बच्चा 40 सप्ताह तक गर्भ में रहता है. उस का समय पूर्व जन्म होने से उस को गर्भ में विकसित होने के लिए कम समय मिल पाता है. इसलिए उस को अकसर जटिल चिकित्सकीय समस्याएं होती हैं. बच्चे के समय पूर्व जन्म लेने का कारण स्पष्ट नहीं हो पाता, लेकिन कारण कई हैं.
- यदि महिला को पहले भी समय से पहले प्रसव हो चुका हो.
- 2 या 2 से अधिक बच्चे गर्भ में होना.
- 2 गर्भाधानों के बीच कम का वक्त होना.
- इनविंट्रो फर्टिलाइजेशन द्वारा गर्भाधान.
- गर्भाशय, गर्भग्रीवा या प्लेसैंटा के साथ समस्या और गर्भाशय का आकार असामान्य होना.
- सिगरेट, शराब का सेवन या नशीली दवाएं लेना.
- मां को पर्याप्त पोषण न मिलना.
- स्वाभाविक रूप से अपरिपक्व प्रसव पीड़ा उठना और वक्त से पहले ही मैंबे्रन (तरल पदार्थ का थैला) का टूटना.
- कोई संक्रमण होना, विशेष कर ऐमनियौटिक फ्लूड और प्रजनन अंग के निचले हिस्से में कोई क्रौनिक स्थिति, जैसे उच्च रक्तचाप और डायबिटीज.
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- गर्भधारण से पहले वजन कम या अधिक होना.
- जीवन में तनाव की घटनाएं होना, जैसे घरेलू हिंसा.
- एक से ज्यादा बार मिसकैरेज या गर्भपात होना.
- शारीरिक चोट या ट्रौमा.
चिकित्सकीय समस्याएं
ऐसफिक्सिया: जन्म के तुरंत बाद शिशु श्वास लेना शुरू नहीं कर पाता, इसलिए उसे कृत्रिम श्वास की आवश्यकता होती है.
शारीरिक तापमान कम होना: छोटे आकार, पारदर्शी व नाजुक त्वचा के चलते ऐसे बच्चे का शारीरिक तापमान कम होता है और त्वचा के जरीए शरीर का बहुत सा तरल पदार्थ खो जाता है जिस से बच्चे में पानी की कमी हो जाती है. कम तापमान की वजह से उसे सांस लेने में दिक्कत होती है और ब्लड शुगर का स्तर कम रहता है. ऐसे बच्चे को अतिरिक्त गरमाहट चाहिए होती है, जो इन्क्युबेटर से दी जाती है.