पिछले कुछ वर्षों में हमारे देश में ऑनलाइन शॉपिंग ने पूरे देश में अपने पैर पसार लिए हैं यद्यपि कोरोना काल में सब कुछ लॉक होने के कारण अधिकांश लोगों को इसे बाजार के विकल्प के तौर पर अपनाना पड़ा. वर्तमान में अनेकों ई कामर्स वेबसाइट ऑनलाइन शॉपिंग के लिए मौजूद हैं जहां से छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी चीज भी घर बैठे बड़ी ही आसानी से खरीदी जा सकती है. ऑनलाइन शॉपिंग करना तकनीक के जानकारों और नई पीढ़ी को भले ही लुभाती हो परन्तु बाजार जाकर खरीददारी करने के मुकाबले ऑनलाइन शॉपिंग तनिक भी नहीं ठहरती और कई बार ऑनलाइन शॉपिंग बहुत बड़ा सिरदर्द भी बन जाती है. अब हमारे पड़ोसी वर्मा जी को ही ले लीजिए उन्होंने अपनी 25 वीं सालगिरह पर पहनने के लिए एक कोट ऑनलाइन आर्डर किया. जब कोट आया तो वह उस कोट से बिल्कुल अलग था जिसे उन्होंने आर्डर किया था. वर्मा जी ने उसकी रिटर्न रिक्वेस्ट डाली तो अगले ही दिन एक बन्दा कोट पिकअप करने आया परन्तु उसने यह कहकर उस कोट को वापस ले जाने से इंकार कर दिया कि कोट पर लगे टैग और उसके मोबाइल पर स्टोर से आये टैग के नम्बर में समानता नहीं है. इधर वर्मा जी की एनिवर्सरी एकदम पास थी सो बाजार जाकर कपड़ा खरीदकर कोट सिलवाने के अलावा कोई और विकल्प ही नहीं था. बहुत हील हुज्जत के बाद बड़ी मुश्किल से 20 दिन बाद वह कोट वापस हो पाया परन्तु ऑनलाइन के चक्कर में वर्मा जी लगभग 20 दिन तक मानसिक रूप से बहुत परेशान रहे और अंत में काम अपने देशी दर्जी से ही कराना पड़ा.