सीधीसपाट जिंदगी में अचानक कोई पत्थर आ कर तब गिरता है जब कोई लड़का या लड़की किसी को यह कहते हुए कटाक्ष करता है कि अरे उसे देखा है, बिलकुल बहनजी टाइप की दिखती है. यह दर्द वही जान सकता है जिस ने कभी कालेज, औफिस या सोशल इवेंट में इसे झेला हो.
ऐसे कटाक्ष से उस प्रतिभासंपन्न लड़की या महिला के आत्मविश्वास की तो धज्जियां उड़ जाती हैं लेकिन कटाक्ष करने वाले को इस से कोई मतलब नहीं होता. इस चुभन की पीड़ा चाहे जिंदगी भर दूसरे को सालती रहे, फिर चाहे इस का असर उस की योग्यता पर भी पड़े, लेकिन कटाक्ष करने वाले को इस से कोई लेनादेना नहीं होता.
क्या कोई है, जो बहनजी टाइप शब्द की घुटन से आप को बाहर निकाल सके, ताकि आत्मविश्वास से लबरेज हो कर आप भी दुनिया के साथ कदम से कदम मिला कर चल सकें? हां है, जो आप को आप का खोया आत्मविश्वास और खुशियां लौटा सकता है. आप को जान कर ताज्जुब होगा, लेकिन यह हकीकत है कि वह तो आप खुद हैं.
सच को परखें
आज करीब 40% से ज्यादा लोग ऐसे हैं, जो प्रतिभासंपन्न होते हुए भी अपने दब्बूपन और जीरो कौन्फिडैंस लैवल के कारण उस मकाम पर नहीं पहुंच पाते जहां उन्हें सही मानों में होना चाहिए. दरअसल, जिंदगी के किसी मोड़ पर स्पैशली कालेज लाइफ में उन की पर्सनैलिटी कौंप्लैक्शन, डै्रस सैंस और आर्थिक कमी के कारण उन्हें अपने ही साथियों द्वारा किसी न किसी कटाक्ष का सामना करना पड़ता है. लेकिन जरा पीछे मुड़ कर सोचिए कि आज वे लोग, जो आप का मजाक उड़ाते थे अपनीअपनी लाइफ में मस्त हैं. आप के होने या न होने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, तो फिर क्यों उन के महज एक टाइमपास को आप ने अपनी जिंदगी का घाव बना लिया? अति तो तब हो जाती है जब इन बेवजह के कटाक्षों से तंग आ कर कोई अपनी जान भी ले लेता है. क्या वाकई जिंदगी इतनी सस्ती और बेमानी है. अब आप सोचिए कि आप क्या चाहती हैं? जिंदगी भर की टीस या अपना खोया हुआ आत्मविश्वास और इंपू्रव्ड पर्सनैलिटी.