घर खरीदना हर व्यक्ति का सपना होता है. वैसे तो हमारे देश में कर्ज लेना अच्छा नहीं माना जाता पर अगर आप के पोर्टफोलियो में होम लोन शामिल है तो यह अच्छी निशानी है. दरअसल, होम लोन बाकी कर्ज से बिलकुल अलग है. कारण यह है कि होम लोन लेने का मतलब है कि आप के पास एक संपत्ति बन रही है जिस की कीमत हमेशा बढ़ेगी. कहने का मतलब यह है कि अगर आप होम लोन ले कर घर खरीदते हैं तो यह समझदारी भरा काम है, बशर्ते आप को इस की बारीकियों के बारे में जानकारी हो.
कैसे तय होती है होम लोन की पात्रता
बैंकों के कुछ मानदंड होते हैं, जिन पर खरा उतरने वालों को ही एक निश्चित सीमा तक होम लोन दिया जाता है. सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लैनर अमित सक्सेना के मुताबिक, किसी व्यक्ति को कितना लोन मिलेगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उस की ग्रौस सैलरी कितनी है.
उदाहरण के तौर पर वेतनभोगी वर्ग को सालाना आय का 4 गुना होम लोन दिया जा सकता है. जबकि चार्टर्ड अकाउंटैंट, डाक्टर जैसे पेशेवरों को उन की सालाना आय का 7 गुना तक लोन दिया जा सकता है. हालांकि लोन देते वक्त बैंक इस बात का खयाल रखते हैं कि व्यक्ति की टेक होम सैलरी या फिर नैट सैलरी ग्रौस सैलरी के 40% से कम न हो. इस के अलावा होम लोन के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति की क्रैडिट रिपोर्ट पर भी गौर किया जाता है. अगर कर्ज चुकाने का पुराना रिकौर्ड दागदार है तो संभव है कि ऐसे व्यक्ति को लोन मिले ही नहीं या मिले भी तो थोड़ी अधिक ब्याज दर पर.