एक मेडिकल लोन को एक पर्सनल लोन की तुलना में ज्यादा जल्दी प्रोसेस किया जाता है. आम तौर पर मेडिकल लोन का पैसा ट्रांसफर होने में लगभग तीन दिन का समय लगता है जबकि एक पर्सनल लोन का पैसा ट्रांसफर होने में लोन देने वाली कंपनी के नियमों के आधार पर कुछ घंटे या कुछ दिन भी लग सकते हैं.
इंश्योरेंस, भावी जोखिमों को कम करने का एक अच्छा तरीका है. हेल्थ इंश्योरेंस, मेडिकल इमरजेंसी में आपके लिए बहुत फायदेमंद होता है. इससे आपको अपनी पौलिसी के कवरेज के आकार के अनुसार गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए आपको आर्थिक मदद मिलती है. मेडिकल इमरजेंसी के दौरान तुरंत फैसले लेने पड़ते हैं और बहुत कम समय में पैसे का इंतजाम करना पड़ता है.
मेडिकल लोन एक ऐसा साधन है जिसे खास तौर पर इसी तरह की मेडिकल इमरजेंसी में आपकी मदद करने के लिए तैयार किया गया है. इसी तरह बाजार में कुछ और लोन भी उपलब्ध हैं, जैसे पर्सनल लोन और जमानत के बदले में लोन जो तरह-तरह की जरूरतों को पूरा करने के लिए दिए जाते हैं.
पर्सनल लोन के मामले में बैंक और वित्तीय संस्थान सिर्फ आवेदक के योग्यता मानदंडों की जांच करते हैं. उसके बाद ही यह फैसला करते हैं कि उसे लोन दिया जाए या नहीं, लेकिन मेडिकल लोन के मामले में कुछ एनबीएफसी पूरे परिवार की योग्यता की जांच करते हैं. इसलिए इसमें लोन मिलने की संभावना बढ़ जाती है. यदि रोगी का क्रेडिट स्कोर खराब है तब भी.
कहां से मिलता है मेडिकल लोन?
मेडिकल लोन, टाटा कैपिटल जैसे एनबीएफसी द्वारा दिया जाता है. बैंक भी पर्सनल लोन आधारित मेडिकल लोन देते हैं. राष्ट्रीय बैंक, पर्सनल लोन की सुविधा देते हैं. इसका इस्तेमाल मेडिकल इमरजेंसी के दौरान इलाज के खर्च का भुगतान करने के लिए किया जा सकता है. लगभग सभी राष्ट्रीय बैंक पर्सनल लोन देते हैं. एनबीएफसी और बैंकों के अलावा, कुछ उधार देने वाली कंपनियां भी बैंकों और अस्पतालों के साथ टाईअप करके मेडिकल लोन देती हैं.