राधिका को कुकिंग का शौक था पर विवाह के बाद घर के कामकाज में ऐसी उलझी कि उस का शौक पीछे छूट गया. वह अकसर कहती रहती थी कि उस की इच्छा तरहतरह के फ्यूजन, थाई कौंटीनेंटल व्यंजन बनाने की होती है, पर क्या करे फुरसत ही नहीं मिलती है. घर का वही रोजमर्रा का खाना बनातेबनाते समय बीत जाता है.
रोहिनी शर्मा का भी कुछ ऐसा ही हाल है. शादी के पहले उस ने एमसीए का कोर्स किया था और अच्छी कंपनी में नौकरी भी लग गई थी. शादी के बाद वह अपने पति के साथ लखनऊ से रांची आ गई. उस ने सोचा कि कुछ महीने बाद कोई नौकरी ढूंढ़ लेगी. मगर समय बीतता गया और उस ने जौब के लिए ट्राई ही नहीं किया. उस के पति ने कई दफा कहा कि जौब ढूंढ़ने की कोशिश करे, पर वह हर बार काम का बहाना बना कर टालती रही.
इस बीच उसे 2 बच्चे भी हो गए. उस की सहेली ने कहा कि वह घर के बाहरी हिस्से में कंप्यूटर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट खोल ले. इस से वह घर और इंस्टिट्यूट दोनों को आसानी से मैनेज कर सकेगी. मगर रोहिनी हर बार घर के काम और बच्चों की देखभाल का रोना रोती रही.
ज्यादातर घरेलू महिलाएं यही सोच कर अपनी उम्र और समय बरबाद करती रहती हैं कि वे बहुत कुछ करना चाहती हैं पर कैसे करें? घर और परिवार के काम से ही कहां फुरसत मिलती है? अगर वे नौकरी या अपना बिजनैस करने लगीं तो उन के पति और बच्चों को कौन देखेगा? वे टीवी सीरियल देख कर और इधरउधर की गप्पें लड़ा कर अपना समय बेकार कर देती हैं और चाह कर भी अपने पैरों पर खड़े होने और अपनी मेहनत से घर के खर्च में हाथ बंटाने का मौका गंवा देती हैं.