लेखक-भैल चंदु
नेहा की शादी के 4 साल बाद ही उस के पति की मृत्यु हो गई. कुछ साल उस ने अपने बेटे की परवरिश में गुजार दिए. बेटा होस्टल पढ़ने चला गया. नेहा नौकरी के साथ अपना घर भी संभालती थी. इस के बाद भी उसे जीवन में काफी खालीपन लगता था. परिवार के नाम पर उस की बूढ़ी मां ही थी. वह भी अपने बेटों के साथ रहती थी. नेहा अपनी मां के पास जाती जरूर थी पर वहां अपने भाई और भाभी से दिली लगाव नहीं मिलता था. उन के व्यवहार से ऐसा लगता था जैसे वे लोग नेहा को बहुत ज्यादा पसंद नहीं करते.
नेहा देखने में सुंदर और व्यवहार से काफी सुलझ हुई थी. उस के अकेलेपन का लाभ उठा कर करीब आने वालों की संख्या कम नहीं थी. इन में कई उस की सहेलियों के पति भी थे. नेहा को ऐसे लोगों के व्यवहार से पता चल जाता था कि कौन क्या चाहता है?
नेहा जितनी सुंदर थी उतनी ही फैशनेबल भी थी. उस के अंदाज को देख कर लोगों को लगता कि नेहा को हासिल करना बहुत आसान है. कई बार लोग उस को दिलफेंक समझने की गलती भी कर देते थे.
साथी की जरूरत
नेहा इन बातों से अनजान नहीं थी पर वह ऐसे लोगों और उन के व्यवहार को तवज्जो नहीं देती थी. यह बात सच थी कि नेहा को भी किसी साथी की जरूरत महसूस हो रही थी, जिस के साथ वह बैठ कर बात सके, जिसे वह सामान्य दोस्त से अलग समझ सके.
यह भी सच है कि ऐसे समय में शारीरिक संबंधों की जरूरत भी अनुभव होती है. कई बार सैक्स जरूरी भी हो जाता है. अकेलापन किसी तरह के डिप्रैशन में न डाल दे उस से बचने के लिए एक साथी की जरूरत होती है.