नैना बहुत देर से अर्पित से बातें करना चाह रही थी मगर अर्पित का फोन बारबार व्यस्त आ रहा था. एक बार फोन लगा तो भी अर्पित ने उठाया नहीं. फिर नैना ने उसे मैसेज किया कि फ्री होने पर कॉल करना मगर 2 दिन बीत गए अर्पित ने कोई जवाब नहीं दिया.
आजकल नैना के साथ ऐसा अक्सर अक्सर होने लगा था. नैना के ज्यादातर मैसेजेस का अर्पित कोई जवाब नहीं देता था. कभी जवाब देता भी तो बहुत संक्षेप में या केवल हां या ना में उत्तर देता. कभी अपनी तरफ से कोई फोन नहीं करता.
ऐसा पहले नहीं था. पहले तो अर्पित हर रोज नैना से एकदो घंटे बात न कर ले तो उसे चैन नहीं पड़ता था. बारबार मैसेज करता था. वह कॉलेज में होती तो दोनों घंटों का समय साथ बिताया करते. मगर धीरेधीरे अर्पित के दिल से नैना का प्यार उतरने लगा.
कॉलेज में एकदो स्मार्ट और खूबसूरत लड़कियां आ गईं थीं और अर्पित का ध्यान उधर ज्यादा रहने लगा था. नैना अब उस के लिए महत्व नहीं रखती थी. मगर नैना अब भी अर्पित के प्यार में डूबी हुई थी. अर्पित बातबात पर उसे झिड़कता पर वह खामोशी से सुन लेती. अर्पित ने कई बार उसे सब के आगे बुराभला कहा. दूसरों के सामने बिना बात उस का मजाक उड़ाता.
मगर नैना का प्यार कम नहीं हुआ. यह बात अलग थी कि जो प्यार पहले उस की जिंदगी को नई उमंगों से भरता था वही प्यार अब दर्द देने लगा था. नैना को बहुत तकलीफ होती थी पर अर्पित के प्रति उस की दीवानगी में कोई अंतर नहीं आया था.