वैशाली, मोनिका और सोनू बचपन की सहेलियां हैं. संयोग से तीनों की शादियां भी एक ही शहर में हुईं. शादी के बाद जब तीनों पहली बार अपने मायके आईं, तो सभी ने एकदूसरे की ससुराल के बारे में पूछा खासतौर पर यह कि ससुराल में कौनकौन हैं, उन का व्यवहार कैसा है, कौन अधिक प्यारदुलार करता है और कौन नहीं?
वैशाली ने कहा, ‘‘मेरे ससुरजी बड़े मजाकिया स्वभाव के हैं. बातबात में हंसाते हैं. शादी के पहले पापा मुझे हंसाते थे और अब यहां ससुरजी. उन का व्यवहार इतना अच्छा है कि लगता ही नहीं कि मैं उन की बहू हूं, वे मुझे अपनी बेटी ही मानते हैं और मेरी हर जरूरत का ध्यान रखते हैं.’’
मोनिका ने वैशाली की हां में हां मिलाते हुए कहा, ‘‘तुम ठीक कह रही हो. मेरे ससुरजी भी हर बात में मेरा पक्ष लेते हैं. मेरी हर पसंदनापसंद का खयाल रखते हैं. यहां तक कि मेरे लिए तरहतरह के गिफ्ट और बाजार से पकवान भी लाते हैं. लगता ही नहीं कि मैं ससुराल में हूं. सच तो यह है कि उन में मैं अपने बाबूजी की छवि ही पाती हूं.’’
पिता जैसा प्यारदुलार
दोनों की बातें सुन कर सोनू उदास हो गई. बोली, ‘‘तुम दोनों के ससुर अच्छे हैं, जो तुम्हें इतना अपनापन और स्नेह देते हैं, लेकिन मेरे ससुरजी तो हैं ही नहीं. यदि वे होते तो मुझे भी उन का प्यारदुलार मिलता. ससुर के बिना ससुराल कैसी? यदि वे होते तो पिता की तरह मैं उन का सम्मान करती. अकेली सास ससुरजी की कमी तो पूरा नहीं कर सकतीं.’’