आंध्र पद्रेश का विशाखापट्टनम शहर 'वाइजैग', 'हार्बर सिटी', 'सिटी औफ डेस्टिनी' आदि नामों से भी जाना जाता है. पिछले दिनों यहां पहला इंटरनेशनल यौट यानी नौका फेस्टिवल का आयोजन हुआ है. प्रकृति की विस्मयकारी चित्रकारी की कोई कमी नहीं यहां. समुद्र तट के साथ खूबसूरत पर्वतमालाएं, शीशे-सा चमकता समंदर का पानी और नजदीक ही हरी-भरी पहाडि़यां.
यहां आकर ऐसा जान पड़ेगा मानो किसी चित्रकार ने फुर्सत से प्रकृति के विशाल कैनवास पर रंग-बिरंगी चित्रकारी की हो. विशाखापट्टनम शहर कोरोमंडल तट (दक्षिणी-पूर्वी तटरेखा) पर बसा है. कोरोमंडल तट को लेकर यहां अलग-अलग कहानियां प्रचलित हैं. कहते हैं सही शब्द कोरोमंडल नहीं चोल-मंडलम था. इस क्षेत्र में चोल राजाओं का शासन था और इस मंडल को तमिल भाषा में चोल-मंडलम कहते थे. पर यह शब्द फ्रांस, पुर्तगाल से आए उपनिवेशी सौदागरों के लिए बोलना कठिन था इसलिए वे चोल-मंडलम को कोरोमंडल कहकर पुकारने लगे. तभी से इस तट को कोरोमंडल के नाम से भी जानने लगे.
स्वच्छता में अव्वल
शहर का संबंध महात्मा बुद्ध से भी देखने को मिलता है. यहां से 15 किलोमीटर की दूरी पर तोट्लकोंडा नामक स्थान पर 2500 साल पुराने एक बौद्ध मठ के अवशेष मिले हैं. इस मठ का संबंध बौद्ध धर्म के महायान संप्रदाय से माना जाता है. कहते हैं कि यह शहर कभी मछुआरों का गांव हुआ करता था. आज यह भारतीय नौसेना के पूर्वी कमांड का केंद्र है. मछुआरों के आदिवासी जीवन की सादगी और भारतीय सेना का रुतबा इस शहर को अनूठा बनाता है. यह एक शांत और बेहद साफ-सुथरा शहर है. गत वर्ष एक सर्वे में इस शहर के रेलवे स्टेशन को देश के सबसे स्वच्छ स्टेशन के तमगे से नवाजा गया था. यह देश के बाकी शहरों की तुलना में स्वच्छता के लिहाज से तीसरे स्थान पर है.