दुनिया तरह-तरह के अजूबों से भरी पड़ी है, देखा जाए तो दुनिया की हर जगह खूबसूरत है या हर जगह कुछ न कुछ खास बात होती ही है. ऐसा ही एक गांव है, जहां पहले पर्यटक जाने से बचते थे लेकिन समय के साथ इस गांव की ऐसी पहचान बन गई, जिसकी वजह से पर्यटक यहां एक अलग तरह का अनुभव लेने के लिए आते हैं.
केरल में त्रिशुर जिले के मरोत्तिचल गांव, जिसे कभी नशे की वजह से जाना जाता था. आज इस जगह को ‘चेस विलेज’ के नाम से जाना जाता है. दुनिया भर से लोग यहा गांव घूमने के साथ ही शतरंज की बाजी लगाने के लिये आते हैं.
त्रिशुर की खूबसूरत पहाड़ियां
त्रिशुर की पहाड़ियों में बसा ये गांव घूमने के लिए अब बहुत शांत है. लेकिन ये गांव हमेशा से ऐसा नहीं था. 1970-80 के दशक में ये गांव पूरी तरह से नशे की गिरफ्त में था. शराब और जुए के कारण यहां बदतर हालात थे. शाम होते ही क्या यहां हर उम्र के लोग जुए में डूबकर अपनी जिंदगी बर्बाद करने उतर जाते थे. लेकिन अब यहां आपको लोग चेस खेलते लोग नजर आएंगे.
ऐसे बदल गया गांव
अब इस गांव में कम उम्र के बच्चे ही शतरंज में पारंगत हो जाते हैं. लोगों के पास इतना समय ही नहीं होता कि जुए या शराब के लिए वक्त बर्बाद करें. इसका श्रेय जाता है गांव के सी. उन्नीकृष्णन को.
70-80 के दौर में, तब उन्नीकृष्णन हाईस्कूल में पढ़ते थे. वो नहीं चाहते थे कि उनका गांव इस कदर बर्बाद हो. उन्होंने अमेरिका के चेस खिलाड़ी बौबी फिशर से प्रभावित होकर खेल को सीखने का मन बनाया. पड़ोस के गांव में जाकर वे चेस सीखते और गांव वालों को सिखाते.