इतिहास, धर्म, या संस्कृति के लिहाज से अगर बात कि जाऐ तो हमारे देश में एक ऐसा शहर है जो हमेशा से इतिहास के नजरिये से प्रमुख केन्द्र रहा है. आज हम बात करेंगे बनारस के बारे में. आपको काशी के बारे में तो पता ही होगा. यह हमारे देश के ऐतिहासिक, धार्मिक और संस्कृतिक पहलुओं को दर्शाता है. बनारस की खोज राजा बलवंत सिंह द्वारा की गई. तो आज हम आपको ले चलेंगे बनारस की सैर पर और आपको बताएंगे आखिर क्या है यहां खास, जो हर कोई यहां अपने जीवन में एक बार जरूर आना चाहता है.
सारनाथ संग्रहालय
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने सारनाथ में कई बुद्ध प्राचीन अवशेषों में शामिल मूर्तियों और कलाकृतियों का एक शानदार संग्रहालय बनाया है. इन मूर्तियों में से एक पांचवी शताब्दी में बनायीं गयी ध्यानमग्न भगवान बुद्ध की मूर्ति और मानव आकार की बोधिसत्व प्रतिमा जिसे कमल का फूल लिए हुए दिखाया गया है. यहां पर मौर्य, कुषाण काल और गुप्त काल की भी शानदार कलाकृतियां रखी हुई हैं. ये संग्रहालय हफ्ते के सातों दिन सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुलता है.
अशोक स्तंभ
सारनाथ संग्रहालय में ही अशोक स्तंभ है जिसे शेर स्तंभ भी कहते हैं. यह भारत का राष्ट्रीय प्रतीक भी है. इस पर अशोक का एक संदेश लिखा है जो बौद्ध समुदाय में सौहार्द बनाये रखने का संदेश देता है. इस पर घंटी के आकार में एक कमल बना हुआ है और साथ ही शेर, घोड़े, हाथी और बैल आदि के प्रतीक बने हुए हैं. इस स्तंभ पर चौबीस तीलियों वाला अशोक चक्र भी बना हुआ है जिसे हम अपने तिरंगे में भी देख सकते हैं. इस स्तंभ में मौजूद हर चीज भगवान बुद्ध के जीवन के विभिन्न चरणों का प्रतीक है. जैसे हाथी उनके विचारों का प्रतीक है क्योंकि महारानी माया ने सपने में, अपने गर्भ में एक सफ़ेद हाथी को प्रवेश करता देखा था. बैल राजकुमार के रूप में बुद्ध के जीवन का प्रतीक है. घोड़ा उनके ऐश्वर्य पूर्ण राजसी जीवन से पलायन का प्रतीक है जबकि शेर बुद्ध की बौद्ध धर्म की उपलब्धि का प्रतीक है. इसके अलावा स्तंभ पर बने चार शेर, चार दिशाओं में अशोक के शासन का प्रतीक हैं. अशोक चक्र, सम्राट अशोक के यश का प्रतीक माना जाता है, और चारों जानवर सम्राट अशोक के चार राज्यों के राजपाट के प्रतीक हैं. ये भी पूरे हफ्ते सुबह 4 बजे से रात 11 बजे तक पर्यटकों के देखने के लिए उपलब्ध रहता है.