किसी सक्सेज स्टोरी के लिखने की शुरुआत दशकों से हम आमतौर पर इसी जुमले से करते रहे हैं, ‘हर सफल पुरुष के पीछे एक महिला का हाथ होता है’. लेकिन हाल के सालों में हमने कई बार देखा है कि सफलता की खालिस हिंदुस्तानी कहानियों में महिलाओं का सिर्फ हाथ ही नहीं होता, वे खुद भी होती हैं. मीनल दखावे भोसले इसी सिलसिले का नया नाम हैं. जैसा कि हम सब जानते हैं मीनल दखावे वह वायरोलौजिस्ट हैं, जिनके नेतृत्व में भारत ने पहली कोरोना वायरस वर्किंग टेस्ट किट रिकौर्ड समय में तैयार की है. गुजरे 26 मार्च 2020 को भारत का पहला कोरोना वायरस टेस्टिंग किट ‘पाथो डिटेक्ट’ महज 4 सप्ताहों के भीतर तैयार होकर बाजार तक पहुंच गया, जबकि दुनिया में अब से पहले कोई भी कोरोना वायरस टेस्टिंग किट साढ़े तीन महीने से पहले नहीं तैयार हुआ था. यही नहीं इस टेस्टिंग किट की और भी कई ऐसी खूबियां हैं, जो इसे दुनिया का सबसे बेहतरीन किट बनाती है.
एक तो यह दुनिया में सबसे सस्ता टेस्टिंग किट है. दूसरी बात यह है कि यह दुनिया का सबसे स्मार्ट टेस्टिंग किट भी है. दूसरे टेस्टिंग किट जहां 70 से 80 फीसदी ही सही नतीजे देते हैं, वहीं यह किट 100 फीसदी सही नतीजे देता है और दुनिया के बाकी टेस्टिंग किट जहां 7 से 8 घंटे नतीजा देने में लगाते हैं, वहीं यह 2 से ढाई घंटे के बीच नतीजा दे देता है. इस तरह यह अब तक दुनिया का सबसे अच्छा, सस्ता और स्मार्ट कोरोना वायरस टेस्टिंग किट है. लेकिन इस कहानी में इससे भी कहीं ज्यादा रोमांचित करने वाला संदर्भ है. वह है इस किट को तैयार करने वाली टीम की मुखिया मीनल दखावे भोसले. यूं तो इस टेस्टिंग किट की कामयाबी में पुणे की ‘मायलैब डिस्कवरी’ फर्म के सभी कर्मचारियों का सैल्यूट के लायक योगदान है. लेकिन अगर लैब के मेडिकल मामलों के निदेशक डाॅ. गौतम वानखेड़े की मानें तो इसमें सबसे बड़ा योगदान लैब की रिसर्च एवं डेवलपमेंट प्रमुख वायरोलौजिस्ट मीनल दखावे भोसले का है. मीडिया से बातचीत करते हुए डाॅ. गौतम वानखेड़े ने उनके जिस अदम्य साहस की ओर इशारा किया है, वह है बेहद तनाव और जोखिम भरे समय में उनका बहुत कूल और संयमित बने रहना.