रीना की बेटी रिया एक होनहार स्टूडेंट थी एक दिन ग्रुप स्टडी का बोल कर रात भर घर से बाहर रही ऐसे में जब घर मे बात पता चली तो रीना ने उसे खूब डाँटा और बात करना बंद कर दी क्योंकि माँ होने के नाते उसे लगा कि इस से रिया को अपनी गलती का अहसास होगा और आगे कभी बिना बताए ऐसा नहीं करेगी किंतु उसे क्या पता था कि रिया इतनी सी बात पर बजाय अपनी माँ से बात करने के अठारहवें माले से कूदकर अपने जीवन का ही अंत कर लेगी और रीना के जीवन मे अंतहीन अंधकार छोड़ जाएगी.इसी तरह रोहन पढ़ाई के लिए मुम्बई आया और गलत संगत में पड़ गया घर में कहता रहा कि मन लगाकर पढ़ रहा है किंतु जब रिजल्ट आया तो वो फेल हो गया था घर मे ये बताने की उसे हिम्मत न हुई उसे लगा कि किस मुँह से माता पिता का सामना करेगा इस से सरल उसे मौत को गले लगाना लगा और वो फाँसी पर झूल गया ये दो किस्से तो इस भयावह समस्या की बानगी भर है .ऐसी खबरें दिल दिमाग को झकझोर के रख देती हैं.किस तरह युवाओं और किशोरों के मन में इस तरह के विध्वंसक विचार आ सकते हैं.मोबाइल फ़ोन न मिलना और दोस्तों के साथ बाहर जाने की इजाज़त न मिलना से लेकर एकतरफा प्रेम या घर में मनपसंद खाना न मिलने जैसी कई छोटी छोटी सी बातों पर युवाओं की आत्महत्या के किस्से सुनकर दिल दहल जाता है फिर भी ये हमें सोचने पर मजबूर करता है कि ऐसा क्या है जो ये इतनी कम उम्र में इस तरह आत्महत्या जैसा गंभीर कदम उठा लेते हैं.