दिल्ली की निकिता अपने तलाक के अनुभव को साझा करते हुए कहती हैं, ‘‘तलाक के बाद एकदम से लगा कि जिंदगी खत्म हो चुकी है. मेरा औफिस जाने का मन नहीं करता था, लोगों से बात करते हुए खुद को असहज महसूस करती थी. जब आप का तलाक होने वाला हो तो लोग बस आप से आप के संबंधों के बारे में ही पूछते हैं. इस से चिढ़ पैदा हो जाती है. मैं ने जौब छोड़ दी, पार्टियों में जाना बंद कर दिया, सोशल फंक्शन से बचने लगी. यहां तक कि अपने दोस्तों से भी बात करना छोड़ दिया. खुद को एक कमरे में बंद कर बीते दिनों के बारे सोचती रहती थी. कुछ समझ में नहीं आता था कि अब जिंदगी को पटरी पर कैसे लाऊं. मुझे इस स्थिति से निकलने में लंबा वक्त लगा.’’

सब खत्म नहीं हो जाता

गाजियाबाद की सोनम सिन्हा भी इस दुखद अनुभव से गुजर चुकी हैं. वे कहती हैं, ‘‘तलाक के बाद आप की जिंदगी एकदम बदल जाती है. आप अपनी पसंदीदा चीजों से नफरत करने लगती हैं. आप की हौबीज आप का साथ छोड़ चुकी होती हैं. आप की पर्सनल लाइफ की परेशानियों के आगे आप की प्रोफैशनल लाइफ दम तोड़ने लगती है. लगता है कि इस पूरी दुनिया में बस खाली आसमान आप के हिस्से में बचा है.’’

निकिता और सोनम दोनों के ये अनुभव वाकई काफी दर्दनाक हैं. इन के जैसी न जाने कितनी औरतें हैं, जो तलाक को अपनी जिंदगी का अंत मान बैठती हैं और खुद को नितांत अकेला चारदीवारी में बंद कर लेती हैं. कई बार वे नशे या किसी अन्य लत की शिकार भी हो जाती हैं. अकेलापन उन्हें अवसाद के दरवाजे तक ले जाता है और यहां मिलती है उन्हें मानसिक और शारीरिक बीमारियां.

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