अत्यंत नम्र व हंसमुख स्वभाव की रिचा कर हमेशा अपने काम पर फोकस्ड रहीं. यही वजह है कि वे सफल रहीं. अपनी सफलता का श्रेय वे अपने पति सासससुर मातापिता और टीम के लोगों को देती हैं. वे कहती हैं कि उन्होंने हमेशा मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी.
पढ़ाईलिखाई का दौर
रिचा जो भी काम करती हैं पूरी लगन से करती हैं. फिर चाहे वह शिक्षा हो या व्यवसाय. अपनी शिक्षा और स्वभाव के बारे में बात करते हुए रिचा कहती हैं, ‘‘मेरे पिताजी टिस्को में काम करते थे, इसलिए मैं जमशेदपुर में बड़ी हुई. इस के बाद बिट्स पिलानी से मैं ने आईटी इंजीनियरिंग की. थोड़े दिनों तक इस क्षेत्र में काम करने के बाद मैं ने मुंबई के नरसी मोंजी कालेज औफ कौमर्स ऐंड इकोनौमिक्स से एम.बी.ए. की पढ़ाई पूरी की. इस के बाद 3 साल मैं ने रिटेल में क?ाम किया फिर मैं जिवामे से जुड़ी.’’ खुद के बारे में बयां करते हुए रिचा बताती हैं, ‘‘मैं जो भी काम करती हूं उस में मेरा विश्वास होता है, इसलिए मैं काम के प्रति फोकस्ड रहती हूं. इस के बाद जो भी समस्या आती है उस का हल निकाल लेती हूं. लेकिन मैं महिला उद्यमी से अधिक एक साधारण महिला हूं, जिसे दूसरी महिलाओं की हमेशा फिक्र रहती है.’’
कैरियर की शुरुआत
रिचा ने अपने कैरियर के बारे में ज्यादा कुछ नहीं सोचा था. पर वे ऐसा कुछ जरूर करना चाहती थीं जिस से किसी का लाभ हो सके. उन की यही सोच उन्हें लौंजरी के व्यवसाय में लाई. वे बताती हैं, ‘‘जब मैं ने लौंजरी मार्केट के बारे में पढ़ा तो पता चला कि महिलाएं अकसर अपने अंतर्वस्त्र के बारे में खुल कर बात नहीं करतीं. उन्हें अपनी ब्रा का सही साइज तक पता नहीं होता. वे हमेशा गलत साइज की ब्रा पहनती हैं. दुकान में अगर पुरुष सेल्समैन हो तो झट से खरीद कर निकल जाती हैं. जबकि यह हमारे पहनावे का अहम अंग है. इस के अलावा उम्र होने पर वे ब्रा पहनना छोड़ देती हैं, जिस से उन्हें पीठ व कमर दर्द की प्रौब्लम हो जाती है. यह सब जान कर मुझे उस क्षेत्र में जाने की प्रेरणा मिली.’’