अभी ये आंकड़े नहीं आए हैं कि नेपाल में आए भूकंप से कितनी औरतें विधवा हुईं और कितनी मांएं अपने बच्चों को खो चुकी हैं. पर सच यही है कि नेपाल के भूकंप की असल मार औरतों और लड़कियों पर पड़ेगी. सैकड़ों औरतों को अपना पति खोना पड़ा होगा, सैकड़ों अपाहिज हो गई होंगी, हजारों ने अपने बच्चों को खो दिया होगा और कई हजार, हो सकता है कई लाख औरतों का घरबार सब टूट गया हो, बिखर गया हो. भूकंप इस कदर भयावह रहा कि कच्चे ही नहीं पक्के मकानों को तोड़फोड़ डाला और उस के साथ लाखों परिवारों के अरमान, जीवन भर की कमाई, सुरक्षा, सुख, 2 वक्त का खाना सब समाप्त हो गया. यह ऐसा दुख है जिस की वह कल्पना नहीं कर सकता है, जिसे यह भोगना न पड़ रहा हो. यदाकदा एकाध के साथ दुर्घटना हो तो उसे घर वालों के यहां शरण मिल जाती है पर यहां तो हर दूसरे घर का यही हाल हुआ है. कसबों के कसबे बिखर गए़ बड़े शहरों में भी हर मकान असुरक्षित हो गया. किसी को नहीं मालूम कब मजबूत दीवारों की बांहें नसीब होंगी. अगर घर के सब जने बचे हैं तो उन के साथ मिल कर एक नई जिंदगी शुरू करनी होगी वरना जो गया उन का अभाव वर्षों तक रहेगा.
आमतौर पर भूकंप युद्ध के बाद सब से ज्यादा दुखदायी कहर होता है. मानव ने आज ऐसे हथियार बना लिए हैं जिन से लाखों को एकसाथ मारा जा सकता है. पिछले विश्व युद्ध में लगभग 6 करोड़ लोग मारे गए और उस के बाद दुनिया भर में लाखों और युद्धों में मारे गए. पर युद्ध में मौत भूकंप की तरह अप्रत्याशित और अचानक नहीं होती. उस के लिए लोग पहले से ही तैयार हो जाते हैं. इस भूकंप में जो लाखों घर ढहे और हजारों मरे उस ने कई लाख परिवारों की शांति व सुख को बरसों के लिए छीन लिया है और अब मुख्यतया यह औरत का काम होगा कि वह गृहस्थी किसी तरह से चलाए. पुरुष तो किसी ऊपर वाले या सरकार को दोष दे कर बैठ जाएगा पर सब का खाना बने, दोपहर को पेट में कुछ जाए, यह औरत को ही देखना होगा. इन पीडि़त घरों की हजारों औरतें रातोंरात कई साल ज्यादा बूढ़ी हो जाएंगी. वे ऐसी चिंता में घुलेंगी जिस का उन के पास सरल उपाय न होगा. घर में सुखशांति से रह रहीं ये औरतें कुछ घंटों में बेघर ही नहीं बेसहारा भी हो गई हैं और इन का हाथ थामने वाले भी ज्यादा नहीं. भूकंप की त्रासदी किसी भी त्रासदी से कई गुना ज्यादा होती है क्योंकि यह बहुत बड़े इलाके में असर डालता है. काठमांडू से आने वाली खबरों में कहा जा रहा है कि लोग सुरक्षित स्थानों पर जाने की कोशिश कर रहे हैं पर सुरक्षित स्थान है कहां? भूकंप का क्षेत्र तो इतना बड़ा निकला है कि उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग आदि को लपेटे में ले लिया. एक औरत के अपने लोग 100-200 किलोमीटर की दूरी पर होते हैं और वे सब के सब उसी कहर के शिकार हैं.