सरिता श्रीवास्तव
कहीं मुस्कुराता, कहीं गीत गाता
कहीं चहचहाता, कहीं बल खाता
अपनी ही धुन में गुनगुनाता, बारिश का एक दिन-
बारिश का एक दिन...
कहीं बच्चों सा हँसता, कहीं यौवन सा खिलखिलाता
कहीं रूठों को मनाता, कहीं नई फसल सा लहलहाता
आसमाँ की बलन्दी को छूता, बारिश का एक दिन-
बारिश का एक दिन...
कहीं गर्म पकौड़ी खाता, कहीं कुल्हड़ की चाय पीता
कहीं चूल्हे का रस लेता, कहीं ऐशवर्य की मदिरा पीता
पेट की अग्नि के लिए कर्म करता, बारिश का एक दिन-
बारिश का एक दिन...
कहीं खेतों की मेड़ रौंदता, कहीं गड्ढ़ों को डबडबाता
कहीं बाँध को तोड़ता, कहीं बिजली को कौंधाता
शहरों की भागमभाग रफ्तार को रोकता, बारिश का एक दिन-
बारिश का एक दिन...
हे! प्रभु इतनी कृपा करो
बारिश ऐसी दो, दया करो-
हर बालक कान्हा सा उल्लसित हो, हर बालिका राधा मयूरी हो
हर नायक में राम सी चितवन हो, हर नायिका में सीता सा समर्पण हो
हर माँ पार्वती सी पुलकित हो, हर पिता शिव सा नटराजन हो
हर खेत बारिश से झूम उठे, हर नदी जीवन संचार करे
हर बदरी में इन्द्रधनुष रहे, जनजीवन सरल प्रवाह रहे
हर घर सुख से भरा रहे, तन स्वस्थ रहे, मन तृप्त रहे
जीवन फूलों सा मुस्कुराता रहे, भंवरों सा गीत गाता रहे
चिड़ियों सा चहचहाता रहे, सर्पों सा बल खाता रहे
“सरिता” का हृदय आज बच्चा है, सपना उसका यह सच्चा रहे
सब शुभ मंगल और अच्छा रहे, आशीष रहे, आशीष रहे.