तनिष्क ज्वैलरी के एक विज्ञापन पर जिस में मुसलिम सास और हिंदू बहू का प्रेम एक पारंपारिक रिवाज के माध्यम से दिखाया था, हिंदू कट्टरपंथियों को नहीं भाया. उन्होंने पहले ट्विटर पर जम कर कंपनी को लताड़ा और फिर स्वयं नियुक्त भगवा चौकीदार धर्म रक्षा के लिए तनिष्क के शोरूमों पर हमला करने लगे.
कंपनी का मुख्य उद्देश्य तो जेवर बेचने थे, धार्मिक विवाद में फंसना नहीं, इसलिए उस ने तुरंत विज्ञापन प्रसारित करना बंद कर दिया.
कहने को यह असहिष्णुता नई है पर असल में यह हर धर्म में बहुत गहराई तक मौजूद है और जरा सी दरार भी धर्मों के दुकानदारों को मंजूर नहीं. हर धर्म असल में झूठी कहानियों पर टिका है. यह कमाल है ताश के पत्तों और रेत से बने महल सारे विश्व में मौजूद हैं और कोई समाज इन से अछूता नहीं है. हर धर्म दूसरे धर्म वाले को दुश्मन मानता है और अपने धर्म के बारे में सचाई कहने पर बेहद बिगड़ता है.
इस विज्ञापन में जो दर्शाया गया है वह साफ करता है कि विज्ञापन बनाने वाले ने हिंदूमुसलिम विवाह को एक सामान्य घटना बताया है. यह घटना सामान्य नहीं है.
हिंदूमुसलिम विवाह का अर्थ है कि विवाह भारत में स्पैशल मैरिज एक्ट के अंतर्गत हुआ जिस में न तो पंडित आया न मौलवी. दोनों की रोजीरोटी मारी गई. इन दोनों के परिवारों ने विवाह के समय बहुत सी पूजाएं नहीं की थीं. उन सब की आमदनी मारी गई. ये परिवार अमीर और संपन्न थे. अत: पैसे मोटे मिलने थे जो मारे गए. नुकसान हो गया.
यही नहीं इन की संतानों के जन्म पर बहुत से रीतिरिवाज नहीं होंगे. उन सब में पैसा मारा गया. सावधानी के लिए विज्ञापन निर्माता ने गोदभराई रस्म दिखाई थी पर यह कहां मंजूर है कट्टरपंथियों को? वे तो जन्म से ले कर मरने तक धर्म का कब्जा हर जीवित व्यक्ति पर रखना चाहते हैं और उस में कोई छूट भी बरदाश्त नहीं है.