अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति का पद संभालते ही अमेरिका गुस्से से उबलने लगा. एक ऐसा व्यक्ति जो औरतों के प्रति नितांत बाजारू व घृणित सोच रखता हो, राजनीति के दांवपेंचों के सहारे राष्ट्रपति बन गया तो अमेरिका समेत दुनिया के 70 देशों में सैकड़ों मार्च निकाले गए. तकरीबन साढ़े 5 लाख महिलाओं ने अपनी सुरक्षा, गरिमा, अधिकार और मानसम्मान की खातिर जबरदस्त विरोधप्रदर्शन कर जता दिया कि उन्हें किसी भी रूप में कमजोर न समझा जाए. ‘सिस्टर्स मार्च’ के जरिए उन्होंने अपनी एकजुटता और मजबूती का जबरदस्त प्रदर्शन किया.

इस मार्च के पीछे 60 वर्षीया ग्रैंडमदर टेरेसा शुक की भूमिका काबिलेतारीफ है. बड़ी संख्या में लोगों को बुलाने के लिए उन्होंने सोशल मीडिया फेसबुक के जरिए ट्रंप की नापसंद नीतियों के खिलाफ आमजन का आह्वान किया था. एक नजर डालते हैं उन के प्रयास और उस रणनीति पर जिस ने दुनियाभर की महिलाओं को आवाज बुलंद करने की जबरदस्त हिम्मत दी.

एक अकेली दादी मां टेरेसा शुक, जिस ने दुनियाभर की महिलाओं को अपनी आवाज बुलंद करने की जोरदार हिम्मत दिखाई और अंजाम की परवा किए बगैर अमेरिका के सब से ताकतवर व्यक्ति से टकरा गई.

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप 8 नवंबर, 2016 को बेहद खुश थे. उन्होंने तमाम विरोधी लहरों और विवादों के बावजूद हिलेरी क्लिंटन को हरा कर राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत लिया था. उन के समर्थक जश्न मना रहे थे, जबकि करोड़ों लोगों को उन की जीत लोकतंत्र की जीत नहीं लग रही थी. विभिन्न देशों से आए मुसलिम समुदाय के अप्रवासियों में काफी बेचैनी थी, जो लंबे समय से अमेरिका में रह रहे थे.

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