कभी कभी आपका शौक आपकी जिंदगी ही बदल देता है. कुछ ऐसा ही हुआ मेरे साथ. मेरा नाम माधुरी है. मैं राजस्थान के एक छोटे से कस्बे में अपने सास ससुर, पति और दो बच्चों के साथ रहती हूं. पिछले साल लॉक डाउन का वक्त हमारे लिए एक मुश्किल घड़ी बनकर आया क्योंकि इस दौरान मेरे पति की नौकरी छूट गई और हमे खाने के लाले पड़ गए. कुछ दिनों में ही सारी जमा पूंजी खत्म हो गई थी. ऐसे मुश्किल वक्त में मेरा सहारा बना मेरा सिलाई का हुनर.
बचपन से ही मुझे सिलाई करने का बेहद शौक था. क्योंकि हम पैसों की तंगी से जूझ रहे थे तो बाजार में मिलने वाले महंगे मास्क हम नहीं खरीद सकते थे. ऐसे में मैंने अपने पति, बच्चों और बाकी परिवार वालों के लिए खुद से ही कपड़े के मास्क बनाने शुरू कर दिए जो आस पास के लोगों को इतने पसंद आए कि वो भी मुझसे मास्क बनाने के लिए कहने लगे.
इसी से मुझे एक नई राह मिली कि क्यों न मैं घर बैठे मास्क बनाऊं और पैसे कमाउं. मेरी सालों पुरानी सिलाई मशीन जो घर के एक कोने में धूल खा रही थी वो मेरी नई साथी बन गई. जिस पर मैंने दिन रात न जाने कितने मास्क बनाएं. और जब ये काम चल निकला तो मैंने घर पर ही एक छोटा सा सिलाई सेंटर शुरू कर दिया, जिसमें हमें आस पास की संस्थाओं से भी काफी मदद मिली और अब हमारे मास्क बड़े बड़े शहरों में भी सप्लाई होते हैं.