डकैत समस्या के चलते कभी दुनियाभर में कुख्यात रहे ग्वालियर व चंबल संभागों के इलाकों की हालत यह हो गई है कि यहां के लोग अब लाइसैंसी हथियारों का इस्तेमाल डकैती डालने या खुद के बचाव के लिए नहीं, बल्कि इत्मीनान से खुले में शौच करने के लिए करने लगे हैं. इन इलाकों के कई गांवों के लोग सुबह जंगल में जाते वक्त एक हाथ में लोटा या पानी की बोतल और दूसरे हाथ में हथियार ले कर शौच के लिए जाते हैं.
इन्हें खतरा दुश्मनों या फिर जंगली जानवरों से नहीं, बल्कि उन सरकारी मुलाजिमों से है जिन्होंने खुले में शौच रोकने का बीड़ा उठाया हुआ है, जिस से कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2 साल पहले शुरू की गई स्वच्छ भारत मुहिम को अंजाम तक पहुंचाया जा सके.
ग्वालियर जिला पंचायत के सीईओ नीरज कुमार को अपर जिला दंडाधिकारी शिवराज शर्मा से झक मार कर यह सिफारिश करनी पड़ी थी कि आधा दर्जन गांवों के तकरीबन 55 बंदूकधारियों के लाइसैंस रद्द किए जाएं क्योंकि ये बंदूक के दम पर खुले में शौच जाते हैं और अगर सरकारी मुलाजिम इन्हें रोकते हैं तो ये गोली चला देने की धौंस देते हैं. मजबूरन सरकारी अमले को उलटे पांव वापस लौटना पड़ता है. ये लोग बदस्तूर खुले में शौच करते रहते हैं.
10 जनवरी को ऐसी ही शिकायत एक ग्राम रोजगार सहायक घनश्याम सिंह दांगी ने उकीता गांव के निवासी अजय पाठक के खिलाफ दर्ज कराई थी. इस बारे में जनपद पंचायत मुरार के सीईओ राजीव मिश्रा की मानें तो गांव में स्वच्छ भारत मुहिम के तहत सुबहसुबह निगरानी करने के लिए टीम गठित की गई थी. उकीता गांव में अजय खुले में शौच कर रहा था. जब उसे खुले में शौच न करने की समझाइश दी गई तो उस ने जान से मारने की धमकी दे दी.