मैट्रो स्टेशन में हों या भीड़भरी सड़कों पर, बस में हों या बाइक अथवा रिकशे पर आप ने अकसर देखा होगा कि लड़कियां अकसर दुपट्टे या स्टोल से अपने पूरे चेहरे और बालों को ढक कर रखती हैं. सिर्फ उन की आंखें दिखती हैं. कभी-कभी तो उन पर भी गौगल्स चढ़े होते हैं. इन लड़कियों की उम्र होती है 15 से 35 साल के बीच.
अब आप के मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर ये लड़कियां डाकू की तरह अपना चेहरा क्यों छिपाए रखती हैं? आखिर प्रदूषण, धूलमिट्टी से तो पुरुषों और अधिक उम्र की महिलाओं को भी परेशानी होती है. फिर ये लड़कियां किस से बचने के लिए ऐसा करती हैं?
दरअसल, ये लड़कियां बचती हैं गंदी नजरों से. पुरुष जाति यों तो महिलाओं के प्रति बहुत सहयोगी होती है पर कई दफा भीड़ में इन लड़कियों का सामना ऐसी नजरों से भी हो जाता है जो कपड़ों के साथसाथ शरीर का भी पूरा ऐक्सरे लेने लगती हैं. उन नजरों से वासना की लपटें साफ नजर आती हैं. मौका मिलते ही ऐसी नजरों वाले लोग लड़कियों को दबोच कर उन के अरमानों, सपनों के परों को क्षतविक्षत कर फेंक डालते हैं.
नैशनल क्राइम रिकौर्ड्स ब्यूरो की 2014 की रिपोर्ट के अनुसार हमारे देश में हर एक घंटे में 4 रेप यानी हर 14 मिनट में 1 रेप होता है. ऐसे में लड़कियों को खुद ही अपनी हिफाजत करने का प्रयास करना होगा. उन निगाहों से पीछा छुड़ाना होगा जो उन के स्वतंत्र वजूद को नकारती हैं. उन के हौसलों को जड़ से मिटा डालती हैं. यही वजह है कि अब लड़कियां जूडोकराटे सीख रही हैं. छुईमुई बनने के बजाय दंगल में लड़कों को चित करना पसंद कर रही हैं. पायलट बन कर सपनों को उड़ान देना सीख रही हैं, नेता बन कर पूरे समाज को अपने पीछे चलाने का जज्बा बटोर रही हैं.