विदिशा एक बिजनैस फैमिली से आती हैं और उन्होंने बिजनैस की डिगरी भी हासिल की है. उन की शादी भी एक व्यावसायिक परिवार में ही हुई. यही वजह है कि उन के मन में भी अपना खुद का बिजनैस शुरू करने का जनून जगा.
उन्होंने 2011 में पैपरिका की शुरुआत की जिस का उद्देश्य कोलकाता के लोगों को रैस्टोरैंट स्टाइल फैसी कुक्ड मील्स मुहैया कराना था. एक दशक से भी अधिक समय से यह ब्रैंड कोलकाता का प्रीमियम और पसंदीदा गोरमे डैस्टिनेशन बना हुआ है.
विदिशा बताती हैं, ‘‘मैं हमेशा से एक ऐसा व्यवसाय करना चाहती थी जिसे अपना कह सकूं और जिस से मुझे पहचान मिले. मैं शुरू में लंदन में हेज फंड ऐनालिस्ट के रूप में काम कर रही थी. फिर वह नौकरी छोड़ दी और कोलकाता चली गई. वहीं इस बिजनैस का विचार दिमाग में आया.
कई पुरस्कार जीते
पैपरिका के साथ अपने एक दशक के लंबे सफर के दौरान विदिशा ने कई पुरस्कार भी जीते. मसलन, 2012 में गौरमे के क्षेत्र में ‘अपराजिता पुरस्कार,’ 2018 में ‘गो गेटर वाईएफएलओ कोलकाता गौरमंड’, 2018 में ‘जस्ट डायल पैपरिका टेक अवे’ और 2019 में फिक्की द्वारा संजीव कपूर कुकिंग कंपीटिशन में भी पुरस्कार हासिल किया.
क्या आज भी महिलाओं के लिए समाज की रूढि़वादी सोच से पार पाना मुश्किल है? इस सवाल के जवाब में विदिशा कहती हैं, ‘‘लड़कियों को इसी मानसिकता के साथ बड़ा किया जाता है कि युवा होते ही उन की शादी कर दी जाए और उन के बच्चे हो जाएं. फिर सारी जिंदगी घरपरिवार के कामों में उलझे रहें. अगर कोई महिला अपना बिजनैस शुरू करना चाहे तो उस का अपना ही परिवार, दोस्त, रिश्तेदार और समाज के लोग उसे पीछे खींचते हैं. कभीकभी जब एक महिला अपना बिजनैस शुरू करती है और कोई समस्या आती है तो उस की क्षमता पर सवाल उठता है. लोग कहने लगते हैं कि हमें पता था तुम से नहीं होगा.