रोज की तरह सिटी पार्क में मौर्निंग वाक करते हुए इंद्र ने सोमेन को देखा तो उन्हें आवाज दी. इंद्र की आवाज सुन कर वह रुक गए. सोमेन कोलकाता के ही रहने वाले थे, जबकि इंद्र बिहार के. केंद्र सरकार की नौकरी होने की वजह से वह प्रमोशन और ट्रांसफर ले कर करीब 20 साल पहले कोलकाता आ गए थे और वहीं सैटल हो गए थे.
इंद्र और सोमेन एक ही औफिस में काम करते थे. सोमेन से इंद्र की जानपहचान हुई तो दोनों का एकदूसरे के घर आनाजाना शुरू हो गया. फिर तो दोनों परिवारों में काफी घनिष्ठता हो गई थी. दोनों इसी साल रिटायर हुए थे. सोमेन की एक ही बेटी थी, जो शादी के बाद पति के साथ अमेरिका चली गई थी.
इंद्र का भी एक ही बेटा था, जो आस्ट्रेलिया में नौकरी कर रहा था. बच्चों के बाहर होने की वजह से दोनों अपनीअपनी पत्नी के साथ रह रहे थे. इंद्र की आवाज सुन कर सोमेन रुके तो नजदीक पहुंच कर उन्होंने पूछा, ‘‘तुम तो 2 सप्ताह के लिए मसूरी गए थे. अभी तो 4-5 दिन हुए हैं. वहां मन नहीं लगा क्या, जो लौट आए?’’
‘‘नहीं, यह बात नहीं है. हम लोग वहां पहुंचे ही थे कि अमेरिका से बेटी का फोन आ गया. तुम्हें तो पता ही है कि वह मां बनने वाली है. उस की डिलिवरी में कौंप्लीकेशंस हैं, इसलिए उस ने मां को फौरन बुला लिया.’’ सोमेन ने कहा.
‘‘लेकिन तुम तो कह रहे थे कि अभी डिलीवरी में 3 महीने बाकी हैं. भाभीजी के लिए 2 महीने बाद की टिकट भी बुक करा रखी थी?’’