मां की बात सुन कर वंशिका का शक सच में बदल गया. अगले हफ्ते अंगूठी की रस्म और उस के अगले हफ्ते शादी. लड़के वाले देर करना ही नहीं चाहते थे. वंशिका भी लड़के के व्यक्तित्व के प्रभाव में आ ही गई. ससुराल में बस लड़का और उस की मां ही थे. लड़का ऐडवोकेट था और मां एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका. एक बड़ा सा घर था उन का. मांग बस इतनी सी कि लड़की घरेलू हो और घर को रहने लायक बना पाए. सब एक सपने के जैसा था.
अभि के होने तक रानियों की तरह रह रही थी ससुराल में सिवा इस के कि वंशिका जान गई थी कि मांबेटे की आपस में ज्यादा नहीं बनती है. दबी जबान से कुछ पहचान वालों ने यह भी कानों में डाल दिया था कि उस के पति सुजीत का किसी विजातीय लड़की से लंबा संबंध रहा है.
मां की असहमति के कारण वह रिश्ता नहीं हो पाया और आननफानन में वंशिका से शादी कर दी. उस लड़की की भी शादी हो गई थी अपनी ही जाति के एक लड़के के साथ. समय एक जैसा नहीं रहता. समय बदला या फिर बदलाव वंशिका ने 2 साल बाद महसूस किया. पुरानी गर्लफ्रैंड स्वीटी उस के पति सुजीत की जिंदगी में फिर लौट आई अपने पति को तलाक दे कर.
इस बार पूरी तैयारी के साथ उस ने वंशिका की गृहस्थी पर हमला बोला. सुजीत की मां के दिमाग में यह बात डाल कर कि सुजीत की डोर वंशिका के नियंत्रण में है और ज्यादा समय नहीं लगेगा जब वह उस की संपत्ति पर कब्जा जमा लेगी. अपने बेटे अभि को हथियार बना कर. सुजीत की मां को बेटे का वंशिका पर प्यार लुटाना ज्यादा पसंद नहीं था. अपने बेटे अभि को भी वह हाथों पर रखता था. मकान के आधे हिस्से को उस ने अपने नाम कर लिया था.